चंडीगढ़: नगर निगम की हाउस मीटिंग में गोशालाओं और पार्कों के फाउंटेन संचालन सहित कई अहम प्रस्तावों पर होगी चर्चा
रमेश गोयत | चंडीगढ़, 29 जुलाई 2025
चंडीगढ़ नगर निगम की हाउस मीटिंग आज मंगलवार को शहर के विकास और जनसेवा से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को लेकर आयोजित हो रही है। मीटिंग में गोशालाओं के संचालन, फाउंटेन के रखरखाव और संचालन को पीपीपी मोड में देने जैसे अहम मुद्दों पर बहस और निर्णय की संभावना है। पार्षदों की राय और विपक्षी दलों की आपत्तियों के चलते बैठक के गरम होने के आसार हैं।
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तीन प्रमुख गोशालाओं के संचालन को लेकर प्रस्ताव:
1. सेक्टर-25 की गोशाला: प्रार्थना फाउंडेशन ट्रस्ट को सौंपी जाएगी (निःशुल्क सेवा)
नगर निगम प्रशासन सेक्टर-25 स्थित गोशाला का संचालन “प्रार्थना फाउंडेशन ट्रस्ट” को सौंपने जा रहा है। प्रस्ताव के अनुसार, ट्रस्ट इसे निःशुल्क सेवा के तौर पर संचालित करेगा। निगम इस पर किसी प्रकार का सीधा आर्थिक व्यय नहीं करेगा, लेकिन देखरेख और निरीक्षण की जिम्मेदारी नगर निगम की बनी रहेगी।
2. सेक्टर-45 की गोशाला: संचालन जारी रहेगा गौरी शंकर सेवा दल के अधीन (निःशुल्क सेवा)
सेक्टर-45 में पहले से गौरी शंकर सेवा दल द्वारा चलाई जा रही गोशाला के संचालन को आगे भी जारी रखने का प्रस्ताव लाया गया है। इस पर निगम को वित्तीय भार नहीं पड़ेगा, क्योंकि संस्था इसे धर्मार्थ भावना से नि:शुल्क चला रही है।
3. मलोया की गोशाला: गऊ ग्रास सेवा संगठन को सौंपी जाएगी, निगम को पड़ेगा वित्तीय बोझ
मलोया स्थित गोशाला का संचालन “गऊ ग्रास सेवा संगठन” को सौंपने का प्रस्ताव सबसे अधिक चर्चा का विषय है, क्योंकि इसमें निगम को प्रतिदिन प्रति पशु ₹50 खर्च करने होंगे। अनुमानित वार्षिक खर्च करीब ₹1.09 करोड़ रुपए बैठता है, जो नगर निगम के बजट पर सीधा असर डालेगा। इस प्रस्ताव पर वित्तीय पहलुओं को लेकर तीखी बहस की संभावना जताई जा रही है।
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52 फाउंटेन होंगे पीपीपी मोड पर संचालित:
नगर निगम शहर के 22 पार्कों और ग्रीन बेल्ट्स में लगे कुल 52 फाउंटेन को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित करने की योजना बना रहा है। इसके तहत निजी संस्थाएं या एनजीओ इन फाउंटेन का संचालन, रखरखाव और सौंदर्यीकरण करेंगी, जबकि बदले में उन्हें फाउंटेन स्थल पर ब्रांडिंग या विज्ञापन की सीमित अनुमति मिल सकती है।
इस योजना के उद्देश्य:
नगर निगम के वित्तीय बोझ को कम करना
फाउंटेन की नियमित सफाई, रंग-बिरंगी लाइट्स और संगीत के साथ रखरखाव सुनिश्चित करना
पार्कों की सुंदरता को बढ़ाना और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना
हालांकि, कुछ पार्षदों ने आशंका जताई है कि पीपीपी मोड में पारदर्शिता और निगरानी की कमी से गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
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विपक्ष ने पहले ही जताई आपत्ति
विपक्षी पार्षदों का कहना है कि गोशालाओं के निजी ट्रस्टों को सौंपे जाने में चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी नहीं रही। मलोया गोशाला के मामले में निगम का वार्षिक खर्च उठाना एक बड़ा वित्तीय बोझ है और इससे निगम के दूसरे विकास कार्यों पर असर पड़ सकता है।
वहीं फाउंटेन के पीपीपी संचालन पर भी पार्षदों का तर्क है कि यह विज्ञापन कंपनियों को फायदा पहुंचाने की एक रणनीति बन सकती है।
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मेयर और निगम अधिकारियों का पक्ष
मेयर और नगर निगम आयुक्त का कहना है कि प्रस्तावों का मकसद निगम के संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन करना है।
मेयर ने कहा, “हम गोसेवा को प्राथमिकता देते हुए संगठनों को जनहित में जिम्मेदारी सौंप रहे हैं। वहीं पार्कों की सुंदरता और रखरखाव अब जनसहभागिता के माध्यम से बेहतर किया जाएगा।”
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निष्कर्ष
आज की नगर निगम हाउस मीटिंग में जिन प्रस्तावों पर चर्चा हो रही है, वे शहर की व्यवस्था और सार्वजनिक सेवाओं के स्वरूप में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं। हालांकि इन प्रस्तावों पर सहमति बनने से पहले बहस और विरोध भी देखने को मिल सकता है।
अब देखना यह होगा कि क्या ये प्रस्ताव पारित होकर अमल में आते हैं, या विपक्ष के विरोध के चलते इनमें संशोधन की जरूरत पड़ती है।
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