किसानों को हजारों करोड़ के घोटाले का जख्म दे गया साल 2025 : रतनमान
विधानसभा सत्र में भी नहीं उठा हजारों करोड़ का किसान घोटाला, हर जिले में खुल रही हैं धान घोटाले की परतें
किसानों से लूट, लेकिन जिम्मेदारों पर कार्रवाई शून्य
चंडीगढ़ 30 दिसंबर।
साल 2025 हरियाणा के किसानों के लिए एक ऐसा वर्ष साबित हुआ, जिसे वे शायद कभी भूल नहीं पाएंगे। यह वर्ष किसानों के संघर्ष, पीड़ा और आर्थिक शोषण का प्रतीक बनकर इतिहास में दर्ज होगा। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने आरोप लगाया कि साल 2025 में धान, बाजरा और मूंग की फसलों में हुए हजारों करोड़ रुपये के घोटालों ने किसानों की रीढ़ तोड़ दी, जबकि सरकार और राजनीतिक दल मूकदर्शक बने रहे। रतन मान ने कहा कि यह धान घोटाला इतना बड़ा और संगठित है कि इसने पूर्व के सभी बड़े घोटालों को पीछे छोड़ दिया है। हजारों करोड़ रुपये किसानों की मेहनत की फसल के नाम पर लूट लिए गए। सिर्फ किसानों ही नहीं, बल्कि सरकारी खजाने को भी भारी नुकसान पहुंचाया गया। हर दिन, हर जिले से नए खुलासे सामने आ रहे हैं, जो इस घोटाले की भयावहता को उजागर करते हैं। उन्होंने कहा कि साल 2025 में किसानों का जितना आर्थिक शोषण हुआ है, वैसा पहले कभी देखने को नहीं मिला। किसानों को उनकी फसल का पूरा मूल्य नहीं मिला, भुगतान में भारी अनियमितताएं हुईं और सरकारी नीतियों की बेरुखी ने किसानों को रोने पर मजबूर कर दिया।
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विधानसभा सत्र में भी छाया रहा सन्नाटा
किसान नेता ने हाल ही में संपन्न हरियाणा विधानसभा सत्र पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष—दोनों ही इस मुद्दे पर पूरी तरह विफल रहे। विधानसभा सत्र के दौरान सभी दलों के नेता मौजूद थे। हमें उम्मीद थी कि विपक्ष इस घोटाले को मजबूती से उठाएगा और मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद इस मामले को सदन के पटल पर लाएंगे। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह रही कि किसी भी पक्ष ने इस घोटाले पर एक शब्द तक नहीं बोला। रतन मान ने सवाल उठाया कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि इतना बड़ा घोटाला होने के बावजूद सरकार खामोश है? आखिर मुख्यमंत्री की आंखों के सामने यह सब कैसे होता रहा और कोई जवाबदेही तय क्यों नहीं हुई?
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धान ही नहीं, बाजरा और मूंग में भी घोटाले
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल धान तक सीमित नहीं है। इसमें बाजरा घोटाला भी है, मूंग घोटाला भी है। हर फसल के नाम पर किसानों के साथ धोखा किया गया। हर जिले में परत-दर-परत सच्चाई सामने आ रही है, लेकिन जिम्मेदार लोग चुप हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसान की फसल न होती, तो यह लूट भी संभव नहीं थी। हमारी मेहनत, हमारी फसल की वजह से ही यह घोटाला हुआ। साफ शब्दों में कहूं तो किसानों को लूट लिया गया और लूटने वाले चैन से अपने घरों में बैठे हैं।
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आंदोलन का समय
रतन मान ने किसानों से आह्वान किया कि अब चुप रहने का समय खत्म हो चुका है। यह सोचने का, अडऩे का, लडऩे का और आंदोलन करने का वक्त है। गांव-गांव बैठकर विचार करना होगा कि यह सब कैसे हुआ और इसके खिलाफ क्या रणनीति बने। उन्होंने चेतावनी दी कि साल 2025 में किसानों को जितना रुलाया गया है, उसका राजनीतिक और सामाजिक खामियाजा भी तय होगा। जो लोग किसानों की पीड़ा को नजरअंदाज कर रहे हैं, उन्हें इसका जवाब देना पड़ेगा।
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2026 से भी कम उम्मीद
आने वाले साल को लेकर भी किसान नेता ने निराशा जाहिर की। जब सरकार साल 2025 का किसानों से हिसाब नहीं कर पाई, तो 2026 से हमें क्या उम्मीद रखनी चाहिए? मौजूदा हालात देखकर नहीं लगता कि नया साल किसानों के लिए कोई सौगात लेकर आएगा। उन्होंने अंत में कहा कि किसानों को अब अपनी ताकत खुद बनानी होगी। सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं बची है। हमें खुद मजबूत होना पड़ेगा, संगठित होना पड़ेगा और अपने हक की लड़ाई लडऩी पड़ेगी।
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