Shubhanshu Shukla अंतरिक्ष फ़तेह कर लौटे वतन, पूरे देश में छाया जश्न का माहौल
Babushahi Bureau
“सपनों को पंख तब मिलते हैं जब हौसला आसमान छूता है” — और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इसे सच कर दिखाया।
पूरे 41 साल बाद, भारत ने अंतरिक्ष के क्षितिज पर एक नया अध्याय लिखा है। भारतीय वायुसेना के जांबाज़ पायलट और अब अंतरिक्ष यात्री बने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज एक्सिओम-4 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर पृथ्वी पर लौट आए। 18 दिनों तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रहने और 22.5 घंटे की लंबी वापसी यात्रा के बाद, वह कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में मंगलवार दोपहर 3 बजे सुरक्षित लैंड कर गए।
अंतरिक्ष में 18 दिन – भारत का सिर गर्व से ऊँचा
25 जून को फ्लोरिडा से शुरू हुई यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष की नहीं, बल्कि भारत के वैज्ञानिक और अंतरिक्षीय आत्मनिर्भरता की ओर एक मज़बूत क़दम थी। शुभांशु शुक्ला के साथ इस मिशन में शामिल थे:
1. पैगी व्हिट्सन – मिशन कमांडर (अमेरिका)
2. स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की – मिशन एक्सपर्ट (पोलैंड)
3. टिबोर कापू – अंतरिक्ष यात्री (हंगरी)
भारत के लिए गर्व की घड़ी
शुभांशु शुक्ला 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। उनका यह मिशन न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि आने वाले समय में गगनयान मिशन 2027 की नींव को और मज़बूती देगा।
पीएम मोदी का सलाम: “भारत के बेटे ने रचा इतिहास”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मिशन की सफलता पर ट्वीट कर शुभांशु को बधाई दी। उन्होंने लिखा: “मैं पूरे देश के साथ मिलकर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूँ, जो अपने ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से अब पृथ्वी पर लौट रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में शुभांशु ने अपने साहस, समर्पण और आगे बढ़ने की भावना से करोड़ों लोगों को प्रेरित किया है।”
लखनऊ में जश्न, परिवार की आंखों में आंसू और गर्व
शुभांशु शुक्ला के होमटाउन लखनऊ में जश्न का माहौल देखने लायक था। पूरे परिवार ने टीवी पर लाइव लैंडिंग देखी और जैसे ही 'ड्रैगन ग्रेस' अंतरिक्ष यान सुरक्षित उतरा, परिवार की आँखों में आंसू छलक आए। केक काटकर पूरे मोहल्ले ने एकजुट होकर इस ऐतिहासिक लम्हे को सेलिब्रेट किया।
क्यों खास रहा एक्सिओम-4 मिशन?
1. भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मंच पर मज़बूत उपस्थिति मिली
2. मिशन में शामिल भारतीय पायलट को भविष्य के गगनयान प्रोजेक्ट की टेस्टिंग में अनुभव मिला
3. अंतरिक्ष में भारत की तकनीकी और वैज्ञानिक शक्ति का प्रदर्शन
4. राकेश शर्मा के बाद पहली बार कोई भारतीय सीधे ISS पर पहुँचा
आने वाले कल की झलक
शुभांशु शुक्ला का ये मिशन एक संकेत है — भारत अब केवल अंतरिक्ष को देखता नहीं, बल्कि उसे छूने और बदलने की क्षमता भी रखता है। यह मिशन एक ट्रेलब्लेज़र है, जो न सिर्फ युवाओं को प्रेरित करेगा, बल्कि भारत की स्पेस पॉलिसी को एक नए युग में ले जाएगा।
MA
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