अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस पर आम आदमी पार्टी की मांग – पेंशन, सुविधाएँ, नौकरियों में प्राथमिकता; राज्यपाल एवं प्रशासन की निष्क्रियता व उपेक्षा पर कटाक्ष
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 23 जून 2025:। अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस (International Widows’ Day) के अवसर पर आम आदमी पार्टी ने चंडीगढ़ की विधवाओं की प्रशासन द्वारा उपेक्षा और उनकी सामाजिक सुरक्षा की अनदेखी पर गहरी चिंता व्यक्त की है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विजयपाल सिंह जी ने कहा कि इस दिन का उद्देश्य केवल प्रतीकात्मक नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे विधवाओं की वास्तविक समस्याओं के समाधान का दिन बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने विधवाओं की पेंशन व अन्य सामाजिक सुविधाओं में वृद्धि की मांग को लेकर राज्यपाल एवं प्रशासक महोदय को कई बार ज्ञापन सौंपे, लेकिन हर बार उन ज्ञापनों को सिर्फ नीचे के अधिकारियों को भेज दिया जाता है और वहाँ से कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि “राज्यपाल भवन अब केवल एक पोस्ट ऑफिस की तरह कार्य कर रहा है, जहाँ जनहित की आवाज़ दर्ज तो होती है, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं होता।”
विशेष रूप से उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा विधवाओं की समस्याओं की लगातार उपेक्षा की जा रही है, न तो उनकी पेंशन समय पर दी जा रही है और न ही उनके कल्याण के लिए कोई ठोस नीति लागू की जा रही है।
वर्तमान में चंडीगढ़ में विधवाओं को ₹1,000 प्रति माह पेंशन मिलती है, जो कि 2016 से अब तक बिना किसी बढ़ोतरी के जारी है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि जनवरी 2025 से अप्रैल 2025 तक लगभग 25,000 लाभार्थियों – जिनमें विधवाएँ, वृद्धजन और विकलांग शामिल हैं – को पेंशन नहीं मिली। इनमें 8,592 विधवाओं के मामले पेंशन न मिलने से विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं। मई 2025 में प्रशासन ने नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू करने की बात तो कही, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उस माह में कितनी विधवाओं को वास्तव में भुगतान मिला।
इसके विपरीत, पंजाब में विधवा पेंशन ₹1,500 से ₹1,800 प्रति माह और हरियाणा में ₹2,750 से ₹3,000 प्रति माह दी जा रही है। इन राज्यों की तुलना में चंडीगढ़ की स्थिति बेहद पिछड़ी हुई है, जो सीधे तौर पर महिलाओं के सम्मान और अधिकारों की अनदेखी है।
आम आदमी पार्टी की माँग है कि चंडीगढ़ में विधवा पेंशन को अविलंब ₹2,500 से ₹3,000 प्रति माह तक बढ़ाया जाए, जनवरी से अप्रैल 2025 तक की लंबित राशि तुरंत जारी की जाए, और विधवाओं को स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा तथा सामाजिक सुरक्षा की समुचित सुविधाएँ दी जाएँ। साथ ही उन्हें सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता और आरक्षण मिले ताकि वे आत्मनिर्भर जीवन जी सकें।
विजयपाल सिंह ने अंत में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस केवल दिखावे का दिन नहीं होना चाहिए। इसे तभी सच्चा अर्थ मिलेगा जब शासन और प्रशासन विधवाओं की पीड़ा को समझे, उपेक्षा समाप्त करे और संवेदनशीलता के साथ ठोस कदम उठाए।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →