पीयू में प्रदर्शन पर पाबंदी के खिलाफ छात्रों ने खोला मोर्चा, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र
नए छात्रों से विरोध न करने का हलफनामा मांगने पर पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन के फैसले पर बवाल
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 22 जून:
पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू), चंडीगढ़ द्वारा नए छात्रों से विरोध प्रदर्शन में हिस्सा न लेने का हलफनामा भरवाने और कैंपस में किसी भी प्रकार के आंदोलन या प्रदर्शन पर पाबंदी लगाने के आदेश के खिलाफ अब छात्र खुलकर सामने आ गए हैं। यूनिवर्सिटी के दो छात्रों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू को पत्र लिखकर इस मामले में स्वतः संज्ञान लेने और हस्तक्षेप की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
पीयू प्रशासन ने सत्र 2025-26 के लिए दाखिला प्रक्रिया के तहत एक नया नियम जोड़ा है, जिसमें कहा गया है कि सभी नए छात्रों को यह लिखित रूप में देना होगा कि वे यूनिवर्सिटी, हॉस्टल, कॉलेज या रीजनल सेंटर्स (जैसे सेक्टर 14 और 25) में किसी भी प्रकार के धरने, प्रदर्शन, रैली या आंदोलन का हिस्सा नहीं बनेंगे।
छात्रों का कहना है कि यह नियम न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ भी है। यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा इस तरह का दबाव बनाना छात्रों को डराने-धमकाने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
छात्रों द्वारा भेजे गए पत्र में इस फैसले को "तानाशाहीपूर्ण" बताते हुए कहा गया है कि यदि यह नियम लागू रहता है तो यह भविष्य में छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल देगा। पत्र में यह भी कहा गया है कि“अगर शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांग रखना या प्रदर्शन करना गैरकानूनी बना दिया जाएगा, तो फिर छात्रों की आवाज कौन सुनेगा? यह संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का खुला उल्लंघन है।”
यूनिवर्सिटी प्रशासन की दलील
यूनीवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि यह कदम शैक्षणिक वातावरण बनाए रखने और अनुशासन कायम रखने के लिए लिया गया है। बीते वर्षों में हुए कई प्रदर्शनों के दौरान क्लास बाधित होने, होस्टल की व्यवस्था बिगड़ने और संपत्ति को नुकसान जैसे मामलों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है।
विरोध तेज होने की संभावना
पीयू के छात्रों ने इस फैसले के खिलाफ व्यापक आंदोलन की चेतावनी दी है। कई छात्र संगठनों ने इस मुद्दे पर आगामी दिनों में यूनिवर्सिटी प्रशासन से चर्चा, और जरूरत पड़ने पर संयुक्त धरना प्रदर्शन की योजना भी बनाई है।
विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह का हलफनामा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) और 19(1)(बी) — यानी अभिव्यक्ति और शांतिपूर्ण एकत्र होने के अधिकार के खिलाफ हो सकता है। यदि यह मामला कोर्ट में जाता है तो इसे चुनौती दी जा सकती है।पंजाब यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन पर रोक और छात्रों से लिए जा रहे हलफनामे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि हाईकोर्ट इस मामले पर क्या रुख अपनाता है और क्या यूनिवर्सिटी अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है या नहीं।
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