चंडीगढ़ में करंट लगने से युवक की मौत, प्रशासन की लापरवाही पर भड़के लोग
आप महिला विंग ने उठाई मुआवजे की मांग, शहर में 200 से अधिक खतरनाक बिजली पोल चिन्हित
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 22 जून 2025:
शनिवार को चंडीगढ़ के विकास नगर में एक दर्दनाक हादसे में 35 वर्षीय सुरेंद्र कुमार की बिजली के खंभे से करंट लगने के कारण मौके पर ही मौत हो गई। हादसा उस समय हुआ जब सुरेंद्र अपने घर के पास स्थित पार्क में टहल रहे थे और एक खंभे को छूते ही करंट की चपेट में आ गए। इस हादसे ने पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ा दी है।
सुरेंद्र अपने पीछे पत्नी और दो छोटी बेटियों को छोड़ गए हैं। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, जबकि स्थानीय लोग प्रशासन और नगर निगम की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार – आप नेता प्रेमलता की तीखी प्रतिक्रिया
आम आदमी पार्टी महिला विंग की अध्यक्ष प्रेमलता मौके पर पहुंचीं और उन्होंने इस हादसे के लिए सीधे तौर पर नगर निगम को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा,
“सुरेंद्र कुमार की मौत कोई प्राकृतिक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक अपराध है। निगम को तुरंत जिम्मेदारी लेते हुए पीड़ित परिवार को मुआवजा देना चाहिए।”
उन्होंने बताया कि शहर में ढीली बिजली की तारें, खुले जंक्शन बॉक्स और अनसुरक्षित खंभे आम बात हो गई है। प्रेमलता ने RWA अध्यक्ष अमरजीत सिंह, विक्रम चोपड़ा और राजेश राय के साथ मिलकर किए गए एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए बताया कि
"कम से कम 200 से अधिक जगहों पर ऐसे जानलेवा पोल और तार मौजूद हैं। निगम को शायद किसी और मौत का इंतजार है।"
पहले भी हो चुकी हैं मौतें, अब तक नहीं चेता प्रशासन
उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले भी एक शोभायात्रा के दौरान करंट लगने से एक युवक की मौत हुई थी, लेकिन उसके बावजूद आज तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।
"प्रशासन नागरिकों की मौत को केवल आंकड़ा समझता है, संवेदनशीलता और जवाबदेही दोनों गायब हैं," प्रेमलता ने कहा।
आप की मांगें:
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मृतक सुरेंद्र के परिवार को कम से कम 25 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।
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शहरभर के बिजली पोल और तारों का आपात निरीक्षण हो।
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खुले जंक्शन बॉक्स को तुरंत ढंका जाए।
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दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय कर सस्पेंशन हो।
स्थानीय लोग बोले: “अब बस बहुत हुआ”
स्थानीय लोगों का कहना है कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद प्रशासन आंख मूंदकर बैठा रहा। एक स्थानीय निवासी ने कहा,
“अगर पहले कार्रवाई हुई होती तो आज सुरेंद्र हमारे बीच होते।”
जरूरत है जिम्मेदारी की, ना कि खानापूर्ति की
यह हादसा केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की निगरानी और रखरखाव की असफलता का प्रतीक बन गया है। अब देखना यह होगा कि नगर निगम और प्रशासन चेतते हैं या फिर अगला हादसा किसी और परिवार को उजाड़ेगा।
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