चंडीगढ़ में अफसरशाही का बढ़ता बोझ: कैडर स्ट्रेंथ पर उठे सवाल
IAS- IPS अधिकारियों की नियुक्ति में अधिसूचना की अनदेखी
DGP का कोई पद नहीं, फिर भी सीनियर अधिकारी को दिया गया अतिरिक्त चार्ज
केंद्र और प्रशासन ही अपनी अधिसूचना के खिलाफ
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 22 जून।
चंडीगढ़ प्रशासन में अफसरों की तैनाती को लेकर एक बड़ा प्रशासनिक विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है। केंद्र सरकार और प्रशासन दोनों ही मिलकर अपने बनाए नियमों और अधिसूचनाओं की अवहेलना कर रहे हैं। चंडीगढ़ में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आएपीएस) अधिकारियों की कैडर स्ट्रेंथ को लेकर गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं।
आरटीआई एक्टिविस्ट और सैकेंड इनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष आर.के. गर्ग द्वारा उठाए गए सवालों ने प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। गर्ग का दावा है कि 3 जनवरी 2025 को केंद्र सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के बावजूद चंडीगढ़ प्रशासन ने अफसरों की तैनाती मनमाने तरीके से की है।
आईएएस कैडर स्ट्रेंथ से अधिक संख्या में अफसर
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, चंडीगढ़ में आईएएस अधिकारियों की अधिकतम स्वीकृत संख्या 11 निर्धारित की गई है। लेकिन वर्तमान में चंडीगढ़ में इससे कहीं अधिक आईएएस अधिकारी कार्यरत हैं।
गर्ग का कहना है कि हाल ही में प्रशासक के सलाहकार के पद का नाम बदलकर 'चीफ सेक्रेटरी' कर दिया गया है, लेकिन उसकी शक्तियों में कोई बदलाव नहीं हुआ। यह कदम अधिसूचना का सीधा उल्लंघन है।
प्रशासन की ओर से आरटीआई में बताया गया कि 8 सीनियर अधिकारी कार्यरत हैं, जिनमें डिप्टी कमिश्नर और एमसी कमिश्नर भी शामिल हैं। इसके अलावा कुछ अधिकारी स्पेशल सेक्रेटरी और अन्य पदों पर तैनात हैं, जिनकी कैडर स्ट्रेंथ में कोई जगह नहीं है।
डीजीपी पद का कोई प्रावधान नहीं, फिर भी चार्ज दिया गया
सबसे बड़ा सवाल आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति पर उठ रहा है। आईपीएस कैडर स्ट्रेंथ के अनुसार चंडीगढ़ में केवल 7 आईपीएस अधिकारियों की तैनाती की अनुमति है, जिसमें एक एडीजीपी, एक आईजीपी, एक डीआईजी और चार एसपी शामिल होने चाहिए।
लेकिन 19 जून 2025 को गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर चंडीगढ़ के सीनियर मोस्ट पुलिस अधिकारी को 'डीजीपी का अतिरिक्त चार्ज' दे दिया, जबकि चंडीगढ़ की अधिसूचना में डीजीपी की कोई पोस्ट ही नहीं है।
आरके गर्ग ने इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को पत्र लिखकर रिव्यू की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार खुद अपने ही बनाए नियमों की धज्जियां उड़ा रही है।
एसएसपी ट्रैफिक और एसएसपी का भी कोई पद नहीं
गर्ग ने यह भी खुलासा किया कि चंडीगढ़ में एसएसपी ट्रैफिक और एसएसपी स्तर की कोई स्वीकृत पोस्ट नहीं है, लेकिन अधिकारियों को इन पदों पर तैनात कर रखा गया है। यह भी कैडर स्ट्रेंथ के नियमों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में अफसरों की संख्या सीमित रखी है, तो प्रशासन अधिसूचना की अवहेलना कर अतिरिक्त बोझ क्यों डाल रहा है? यह सीधे तौर पर जनहित और प्रशासनिक पारदर्शिता के खिलाफ है।
समीक्षा की मांग तेज
अब आरटीआई कार्यकर्ताओं और प्रशासनिक हलकों से आवाज उठ रही है कि चंडीगढ़ में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की कैडर स्ट्रेंथ की त्वरित समीक्षा की जाए, और तैनात अधिकारियों की संख्या अधिसूचना के अनुरूप की जाए।
यदि इस मुद्दे पर कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले समय में यह मामला राजनीतिक और कानूनी विवाद का भी रूप ले सकता है। चंडीगढ़ प्रशासन के भीतर नियमों की अनदेखी और अफसरशाही का बढ़ता बोझ चिंता का विषय बनता जा रहा है। प्रशासनिक पारदर्शिता, जवाबदेही और जनहित को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि कैडर स्ट्रेंथ को लेकर तय नियमों का सख्ती से पालन हो, ताकि 'राज्य जैसा केंद्र शासित प्रदेश' एक उदाहरण बन सके, न कि अपवाद।
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