चंडीगढ़: स्लिप रोड पर वायलेशन के नाम पर चालान का खेल,
ट्रैफिक पुलिस नजर में बाहरी नंबर की प्लेट की गाड़ियां!
हाउसिंग बोर्ड की स्लिप रोड बनी चंडीगढ़ का बॉर्डर!
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 30 मई 2025। चंडीगढ़ शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के दावों के बीच, मनीमाजरा हाउसिंग बोर्ड की स्लिप रोड पर एक अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है। यह इलाका अब ऐसा बन गया है जैसे चंडीगढ़ का "बॉर्डर" हो। हरियाणा और पंजाब से आने वाली गाड़ियों को यहीं रोका जा रहा है। बाहरी नंबर प्लेट देख कर ट्रैफिक पुलिस गाड़ियों को रोक लेती है और चालान काटने का सिलसिला शुरू हो जाता है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 295 करोड़ की लागत से सेक्टर-17 में बना इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर एक बार फिर सवालों के घेरे में है। शहर को स्मार्ट बनाने के दावों के बीच, चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस ने पुराने सिस्टम पर लौटते हुए सड़कों पर ही चालान काटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हैरानी की बात यह है कि हाईटेक कैमरे और ऑटोमेटेड सिस्टम के बावजूद पुलिस सड़कों पर उतरकर बाहरी नंबर की गाड़ियों को टारगेट कर रही है। लोगों का कहना है कि डीजीपी सुरेंद्र यादव के तबादला के बाद ट्रेफिक पुलिस पुराने सिस्टम पर उतर आई है। जिसकी गवाही मनीमाजरा हाउसिंग बोर्ड स्लिप रोड के साथ मार्किट में लगे सीसीटीवी कैमरे दे रहे हैं। सुबह से लेकर शाम तक कितनी गाड़ियां रोकी जाती है और कितने चालान किए जाते हैं यह भी जांच का विषय है। चंडीगढ़ पंजाब व हरियाणा की राजधानी है। रोजाना लोग अपने सरकारी या काम के लिए चंडीगढ़ में आते हैं। मगर वह अपनी राजधानी से एक गिला शिकवा लेकर वापस जाते हैं। उन्हें जागरूक करने की बजाय वायलेशन के नाम पर टारगेट किया जाता है।
बाहरी नंबर देखकर रोकी जा रही गाड़ियां
चंडीगढ़ में ट्रैफिक पुलिस का ध्यान मुख्य रूप से स्लिप रोड्स पर केंद्रित है। मोहाली बॉडर, पंचकूला हाउसिंग बोर्ड, मनीमाजरा हाउसिंग बोर्ड, सेक्टर 27 जंक्शन 42, इंडस्ट्रियल एरिया, कला ग्राम चौक, रेलवे स्टेशन और मध्य मार्ग पर यह कार्रवाई जोरों पर है। यहां पुराने ढर्रे पर एक होमगार्ड जवान पेड़ के पीछे खड़ा होता है, जबकि दूसरा जवान इशारा कर गाड़ियों को रुकवाता है। उसके बाद ड्राइवर से वायलेशन के नाम पर कागज मांगे जाते हैं और मौके पर चालान काट दिया जाता है।
मनीमाजरा हाउसिंग बोर्ड से पीजीआई तक के लगभग 15 जंक्शन ऐसे हैं जहां चालान काटने का खेल सबसे ज्यादा चल रहा है। खासतौर पर पीजीआई में इलाज के लिए आने वाले मरीज और उनके परिजन सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं। बाहरी राज्यों से आए वाहन चालकों का कहना है कि उन्हें केवल बाहरी नंबर प्लेट के आधार पर रोका जा रहा है।
कैमरे खराब, सड़क पर चालान का खेल जारी
चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि कई जगहों पर लगे कैमरे खराब हैं, इसलिए मैनुअल चालानिंग की जा रही है। लेकिन सवाल उठता है कि करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए आई सीसीसी प्रोजेक्ट का आखिर क्या फायदा है, जब पुलिस को सड़कों पर ही गाड़ियां रोकनी पड़ रही हैं?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी आई सीसीसी के उद्घाटन के समय कहा था कि अब चालान घर पर पहुंचेगा, गलती मत करना। मगर हकीकत यह है कि चालान घर पर नहीं, बल्कि सड़क पर ही हाथों में थमाया जा रहा है।
ईमानदार पुलिसकर्मी भी परेशान
ट्रैफिक पुलिस विंग के ईमानदार कर्मियों का कहना है कि इस व्यवस्था से उनकी भी छवि खराब हो रही है। कई कर्मी इस "कैमरा सिस्टम" को दरकिनार कर सड़क पर चालान काटने के खेल से आहत हैं, मगर मजबूरी में आदेश का पालन कर रहे हैं।
होमगार्ड और नए ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की भूमिका संदिग्ध
सूत्रों के मुताबिक, इस काम में होमगार्ड के जवानों और हाल ही में ट्रैफिक में बदलकर आए पुलिस कर्मी व नए भर्ती होकर ट्रेफिक पुलिस में आए कर्मचारियों की मुख्य भूमिका है। पुराने अनुभवी अधिकारी दूर खड़े होकर अपना बचाव कर मूकदर्शक बने रहते हैं, जबकि नए जवान और होमगार्ड चालानिंग मशीन लेकर गाड़ियों को रोक रहे हैं।
पंजाब सीएम भगवंत मान का कटाक्ष
हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस की कार्यशैली पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि चंडीगढ़ पुलिस की ज्यादती के कारण पंजाब के लोग बॉर्डर पर ही गाड़ियां छोड़कर दूसरे वाहनों में सफर करने को मजबूर हैं।
लोगों की मांग: कार्रवाई हो
हरियाणा और पंजाब के लोगों ने चंडीगढ़ के प्रशासक और डीजीपी से ट्रैफिक पुलिस की इस कार्रवाई पर लगाम लगाने की मांग की है। लोगों का कहना है कि पुलिस का काम ट्रैफिक कंट्रोल करना है, लेकिन वायलेशन के नाम पर गाड़ियों को रोककर चालान काटना और जुर्माने की वसूली करना एक अलग धंधा बन चुका है, जिस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।
क्या स्मार्ट सिटी का सपना अधूरा है?
ये घटनाएं सवाल खड़े करती हैं कि क्या चंडीगढ़ वाकई स्मार्ट सिटी बना है, या फिर करोड़ों खर्च करने के बावजूद सड़कों पर वही पुरानी कहानी दोहराई जा रही है?
प्रशासन कब सुधरेगा?
शहरवासियों की नजर अब चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस के एसपी सुमेर प्रताप सिंह और डीजीपी पर है कि वे कब इस गड़बड़ी को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करेंगे। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि चालान का यह खेल जल्द बंद होगा और ईमानदार पुलिस व्यवस्था को बहाल किया जाएगा।
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