भूले हुए ए.एन.जेड.ए.सी सैनिकों का सम्मान: सिख और पंजाब रेजिमेंट द्वारा पहले विश्व युद्ध में दिए बलिदान को नमन करने के लिए मनु सिंह के विशेष प्रयास
सिख और पंजाब रेजिमेंट के बहादुरों की पंजाब में यादगार बनाने का प्रस्ताव
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 8 मई, 2025 –बहादुरी और साझा इतिहास की वीर-गाथा को भावुक श्रद्धांजलि के प्रयासों के तहत उत्साही युवा नेता और सामुदायिक दूत के रूप में सक्रिय मनप्रीत सिंह उर्फ मनु सिंह पहले विश्व युद्ध में ए.एन.जेड.ए.सी. (ऑस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड सेना बल) फौजों का साथ देकर लड़ने वाले सिख और पंजाब रेजिमेंट के जवानों के बहादुरी भरे योगदान को मान्यता दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
मनु सिंह का मिशन यह सुनिश्चित करना है कि पहले विश्व युद्ध के वृत्तांत में लंबे समय से नजरअंदाज रहे सिख और पंजाब रेजिमेंट के जवानों के बलिदानों को ऑस्ट्रेलिया की सामूहिक स्मृति में पूर्ण मान-सम्मान के साथ उचित स्थान मिले। ऑस्ट्रेलिया से वापस आने के बाद मनप्रीत सिंह इन जवानों के योगदान को हमेशा याद रखने के लिए पंजाब में उचित यादगार बनाकर नमन करना चाहता है ताकि उनके बहादुरी के किस्सों को आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनाया जा सके।
ए.एन.जेड.ए.सी. की वीर-गाथा ऑस्ट्रेलिया की पहचान का मुख्य आधार है और मनु सिंह इन बलों के अनसुने रहे सैनिकों, खासकर सिख सैनिकों, जो गैलीपोली में ऑस्ट्रेलियाई फौजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे, के बलिदानों को मान्यता दिलाने के लिए दृढ़ है। उल्लेखनीय है कि पहले विश्व युद्ध में 4 जून, 1915 के दिन बहादुरी से लड़ते हुए 14वीं सिख रेजिमेंट के 379 जवान शहीद हो गए थे और उनके द्वारा दिखाई गई बेमिसाल बहादुरी एनजैक ( ए एन जेड ए सी ) की वास्तविक भावना का प्रतीक है।
एनजैक की बहादुरी और बलिदानों के किस्सों से लबरेज़ इस साझा इतिहास की बढ़ती मान्यता इस साल नई दिल्ली में ‘एनजैक दिवस’ समारोहों में स्पष्ट देखी जा सकती थी, जहां ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ' फैरेल, न्यूजीलैंड के उच्चायुक्त पैट्रिक जॉन राता, ऑस्ट्रेलियाई सेना के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ डेमियन स्कल्ली ओ' शीया और रिटर्नड एंड सर्विसेज लीग (आर.एस.एल.) के प्रतिनिधि, पहले विश्व युद्ध के इन बलों, जिनमें एनजैक बलों के साथ लड़ने वाले सिख और भारतीय सैनिक भी शामिल थे, के सम्मान के लिए इकट्ठे हुए। इन प्रतिष्ठित शख्सियतों की मौजूदगी ने इस बहु-राष्ट्रीय विरासत की वास्तविक मान्यता को उजागर किया।
पिछले चार वर्षों से मनु सिंह, युद्ध विधवाओं के कल्याण में जुटी संस्था आर.एस.एल. के सदस्य के रूप में अपने परदादा के ब्रिटिश-इंडियन आर्मी मेडल पहनकर और सिख रेजिमेंट का प्रतिनिधित्व करते हुए नई दिल्ली में एनजैक दिवस परेड में पूरे मान के साथ हिस्सा लेते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस परेड में हिस्सा लेते हुए हमारे बहादुर जवानों के लिए तालियों की गूंज सुनना उनके लिए एक गर्व का पल था। यह ऐसा पल था जहां जीवंत संस्कृतियों और एनजैक की दोस्ती के मजबूत बंधन का सेवा और बलिदान से लबरेज़ सिख परंपरा से मेल हुआ।
मनु सिंह के इन प्रयासों की देश-विदेश में बसे सिख समुदाय और ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने भरपूर सराहना की है। मनु सिंह ने कहा कि सिख सैनिकों और सिख रेजिमेंट ने एनजैक के साथ मिलकर एक ही जंग लड़ी, एक ही संघर्ष किया, इसलिए उनके योगदान को बराबर का सम्मान मिलना चाहिए।
समय के साथ जैसे एनजैक दिवस हिम्मत और एकता के एक विशाल प्रतीक के रूप में मान्यता हासिल करता जा रहा है, आर.एस.एल. जैसे संस्थानों में सिख सैनिकों के योगदान को औपचारिक मान्यता देने के लिए उठती मांगों के साथ मनु सिंह का अभियान भी जोर पकड़ता जा रहा है। मनु सिंह ने कहा कि यह उनके लिए इतिहास से कहीं ज्यादा मायने रखता है और उनके लिए सिख सैनिकों के योगदान को नमन करने का जरिया है। उनका कहना है कि इन बहादुर सिख सैनिकों की वीर-गाथा हमारी साझा विरासत है, हम कहीं इसे भूल न जाएं।
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