चंडीगढ़ में ब्लैकआउट: सायरनों की गूंज से थमा शहर का कदम
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 07 मई। पूरे शहर में अचानक हुए ब्लैकआउट ने लोगों को चौंका दिया। दुकानों से लेकर घरों तक सभी लाइटें बंद करवाई गईं। वहीं, सायरनों की गूंज से पूरे शहर की आवाजाही भी प्रभावित हुई। यह अभूतपूर्व घटना प्रशासन के निर्देश पर की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षा और आपदा प्रबंधन से जुड़ा अभ्यास बताया जा रहा है।
सुरक्षा अभ्यास या कुछ और?
चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, यह ब्लैकआउट एक आपातकालीन सुरक्षा अभ्यास का हिस्सा था। इस दौरान, शहर के हर इलाके में लाइटें बंद करने के आदेश दिए गए थे। इसके साथ ही, सायरनों का बजाया जाना भी पूर्व निर्धारित योजना का हिस्सा था, ताकि लोगों को आपातकालीन स्थिति का अनुभव कराया जा सके।
दुकानों और घरों पर असर
ब्लैकआउट के चलते बाजारों में अचानक सन्नाटा छा गया। दुकानदारों को अपनी दुकानें बंद करनी पड़ीं और ग्राहकों को असुविधा का सामना करना पड़ा। वहीं, घरों में भी लोग अंधेरे में रहे और सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी कुछ समय के लिए थम सी गई।
सेक्टर 17 के एक दुकानदार ने बताया, "ऐसा पहली बार हुआ कि पूरे बाजार की लाइटें एक साथ बंद करवाई गईं। हमें लगा कि कोई बड़ी घटना हो गई है, लेकिन बाद में पता चला कि यह प्रशासन का अभ्यास था।"
प्रशासन का स्पष्टीकरण
चंडीगढ़ पुलिस और प्रशासन के अनुसार, यह ब्लैकआउट सुरक्षा मानकों को परखने के उद्देश्य से किया गया था। सायरनों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि हर नागरिक तक आपातकालीन चेतावनी पहुंच सके।
एसपी सिटी ने मीडिया को बताया, "यह एक नियमित सुरक्षा अभ्यास था, जिसका मकसद आपदा प्रबंधन को और बेहतर बनाना है। लोग सहयोग दें, ताकि भविष्य में किसी भी आपातकालीन स्थिति में हम अधिक सुरक्षित रह सकें।"
आम जनता की प्रतिक्रिया
हालांकि, इस ब्लैकआउट से कुछ लोगों में घबराहट भी देखी गई। कई लोगों ने इसे बिना पूर्व सूचना के किए जाने पर सवाल उठाए। कुछ ने कहा कि ऐसी घटनाओं के बारे में पहले से सूचना दी जानी चाहिए, ताकि लोग तैयार रह सकें।
प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि इस प्रकार के अभ्यास समय-समय पर होते रहेंगे और अगली बार जनता को पहले से सूचित किया जाएगा। वहीं, सुरक्षा मानकों को और अधिक सुदृढ़ बनाने के प्रयास भी जारी रहेंगे।
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