सीजफायर उल्लंघन पर शशि थरूर का तंज: "उसकी फितरत है मुकर जाने की, उसके वादे पे यकीं कैसे करूं?"
बाबूशाही ब्यूरो
नई दिल्ली, 11 मई।: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौते के कुछ ही घंटों बाद संघर्ष विराम के उल्लंघन पर पाकिस्तान पर तीखा तंज कसा। पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बिना किसी उकसावे के तोपखाने से गोलीबारी और ड्रोन हमले किए, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव की स्थिति बन गई है।
थरूर ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "उसकी फितरत है मुकर जाने की, उसके वादे पे यकीं कैसे करूं?" उनका यह बयान पाकिस्तान के दोहरे रवैये पर सवाल खड़े करता है।
सीजफायर पर जताई थी खुशी:
सीजफायर समझौते की घोषणा के बाद शशि थरूर ने शांति प्रक्रिया का स्वागत करते हुए कहा था कि, "मुझे लगता है कि शांति जरूरी है। हमें और अधिक जानकारी की जरूरत है, लेकिन मैं बहुत खुश हूं।" थरूर ने यह भी कहा कि भारत कभी भी दीर्घकालिक युद्ध नहीं चाहता था, लेकिन आतंकवाद को करारा जवाब देना भी जरूरी था। उन्होंने विश्वास जताया कि आतंकवादियों को सबक सिखाया जा चुका है।
बिना उकसावे की फायरिंग और ड्रोन हमले:
सीजफायर समझौते के बावजूद, पाकिस्तान द्वारा की गई गोलीबारी और ड्रोन हमलों ने समझौते की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारतीय सेना के अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने सीमावर्ती इलाकों में तोपखाने का इस्तेमाल किया और ड्रोन के जरिए हमला किया। भारतीय सेना ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है। इस घटना से सीमावर्ती गाँवों में डर का माहौल बन गया है और लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया:
भारतीय सेना ने पाकिस्तान की इस हरकत पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे कदम सीजफायर समझौते का उल्लंघन हैं और इसका प्रभाव दोनों देशों के संबंधों पर पड़ेगा। भारतीय सेना ने भी सीमाओं पर निगरानी बढ़ा दी है और ड्रोन गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
पाकिस्तान की दोहरी नीति पर सवाल:
शशि थरूर का यह बयान पाकिस्तान की नीति पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। एक ओर वह शांति समझौते पर हस्ताक्षर करता है, वहीं दूसरी ओर बिना किसी उकसावे के फायरिंग करता है। थरूर का कटाक्ष इस मुद्दे पर भारत की कूटनीतिक स्थिति को और भी मजबूत बनाता है।
सीजफायर के उल्लंघन के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देशों के बीच बातचीत का भविष्य क्या रहेगा और भारत सरकार इस पर किस प्रकार की प्रतिक्रिया देती है।
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