मातृशक्ति की गोद में पले राष्ट्रसेवक: मेजर पायल छाबड़ा की प्रेरक गाथा
कलायत की वीरांगना और भारतीय सेना की सर्जन मेजर पायल छाबड़ा की कहानी मातृशक्ति और राष्ट्रसेवा का अनुपम उदाहरण
रमेश गोयत
चंडीगढ, 10 मई। मातृत्व दिवस न केवल माताओं के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि उन महान माताओं की भी पहचान है, जिन्होंने राष्ट्रसेवकों को जन्म दिया और संस्कारित किया। हरियाणा के कैथल जिले के कलायत नगर की बेटी, भारतीय सेना की सर्जन मेजर पायल छाबड़ा ऐसी ही एक प्रेरक हस्ती हैं। उनका जीवन केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों की कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसी पारिवारिक विरासत का विस्तार है जिसमें सेवा, शौर्य और संवेदना की अनोखी मिसालें हैं।
दादा की विरासत और देशप्रेम
पायल छाबड़ा के पितामह स्व. चमनलाल छाबड़ा विभाजन से पूर्व लाहौर में रेलवे विभाग में सहायक स्टेशन मास्टर के पद पर तैनात थे। देश विभाजन के समय की पीड़ा सहने के बावजूद उनका राष्ट्रप्रेम अडिग रहा। भारत लौटने के बाद उन्होंने रेलवे सेवा को पुनः संभाला और 1973 से 1984 तक कलायत रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के रूप में अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन किया। उन्होंने भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी में भी वर्षों तक सेवा दी, वर्दी का गौरव बनाए रखा, और परिवार में अनुशासन और समर्पण की नींव रखी।
उनकी जीवन संगिनी, प्रेमवंती, परिवार की संस्कार वाहिका रहीं। उनके स्नेह, धैर्य और दृढ़ता ने आने वाली पीढ़ियों को सेवा, सहिष्णुता और आत्मबल के मूल्यों से सिंचित किया। उनका मातृत्व और आदर्श पूरे परिवार की प्रेरणा का स्त्रोत बना।
माता-पिता की प्रेरणा और शिक्षा
पायल की मां, डॉ. वीना छाबड़ा, एक सशक्त शिक्षिका और मातृत्व की प्रतीक हैं। उनका स्नेह और मार्गदर्शन पायल के जीवन में अनुशासन और आत्मनिर्भरता के बीज बोए। पिता, डॉ. राजिंदर छाबड़ा, एक आदर्श चिकित्सक के रूप में समाजसेवा के क्षेत्र में समर्पित हैं। पायल के बड़े भाई, डॉ. संजीव छाबड़ा (एम.डी. रेडियोलॉजी) और भाभी, डॉ. सलोनी छाबड़ा (एम.एस. स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ), चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं।
भारतीय सेना में मेजर पायल का सफर
मेजर पायल छाबड़ा ने 13 जनवरी 2020 को भारतीय सेना की आर्म्ड मेडिकल कोर में अखिल भारतीय स्तर पर 13वीं रैंक प्राप्त कर प्रवेश लिया। कैप्टन के रूप में अम्बाला मिलिट्री अस्पताल में सेवा आरंभ की और लेह-लद्दाख के दुर्गम क्षेत्रों में दो वर्षों तक सेवा दी। वर्तमान में वे पंजाब में पाकिस्तान सीमा के समीप एक सैन्य अस्पताल में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही हैं।
पायल ने निजी क्षेत्र के करोड़ों के प्रस्तावों को ठुकराकर मातृभूमि की सेवा को वरीयता दी। उनकी मां, डॉ. वीना छाबड़ा, भावुक होकर कहती हैं, “उसने अपना जीवन देश को समर्पित कर रखा है, यही हमारी असली संपत्ति है।”
मातृशक्ति को नमन
मातृ दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि उन माताओं को नमन है जिनकी ममता, संस्कार और प्रेरणा ने राष्ट्रसेवकों को गढ़ा है। मेजर पायल छाबड़ा का जीवन एक जीवंत प्रमाण है कि मातृशक्ति की गोद में पले राष्ट्रसेवक न केवल परिवार, बल्कि पूरे देश का गौरव होते हैं।
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