नगर निगम चंडीगढ़ में आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्तियों पर उठे सवाल, विजिलेंस जांच शुरू
जैम पोर्टल के जरिए रखे गए कर्मचारियों की दस्तावेजी प्रक्रिया पर संदेह, SP गीतांजली खंडेलवाल ने कमिश्नर से फिर मांगी फाइलें
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 22 जून:
नगर निगम चंडीगढ़ में कर्मचारियों की अत्यधिक संख्या को लेकर चल रहे विवाद ने अब गंभीर मोड़ ले लिया है। चंडीगढ़ प्रशासन की विजिलेंस टीम ने आउटसोर्स के जरिए की गई भर्तियों में अनियमितताओं की आधिकारिक जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, यह जांच जैम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) पोर्टल के माध्यम से की गई आउटसोर्स भर्तियों की पारदर्शिता पर केंद्रित है। आरोप है कि भर्ती के दौरान जरूरी कागजातों की ठीक से जांच नहीं की गई और कई कर्मचारियों को मनमाने ढंग से तैनात किया गया।
विजिलेंस एसपी का नगर निगम कमिश्नर को सख्त पत्र
विजिलेंस विभाग की एसपी गीतांजली खंडेलवाल ने नगर निगम कमिश्नर को एक पत्र जारी किया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि विजिलेंस टीम द्वारा कई बार भर्तियों से संबंधित दस्तावेज मांगे गए, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने एक बार फिर निगम प्रशासन को चेतावनी देते हुए जरूरी फाइलें और कागजात जल्द भेजने को कहा है, ताकि जांच की प्रक्रिया लंबित न हो।
क्या है मामला?
नगर निगम में वर्तमान में काम कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या को लेकर विधायकों और पार्षदों ने सवाल उठाए हैं। कई कर्मचारियों को बिना योग्यता की जांच किए भर्ती किए जाने की आशंका जताई गई है। इसके अलावा, यह भी जांच का विषय है कि क्या जैम के नियमों के अनुसार ठेकेदारों और भर्ती एजेंसियों का चयन किया गया था या नहीं।
जांच के दायरे में कौन-कौन?
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जेम पोर्टल के माध्यम से कर्मचारियों की आपूर्ति करने वाली एजेंसियां
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भर्ती प्रक्रिया को पास करने वाले निगम अधिकारी
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संबंधित विभाग जिनके अंतर्गत कर्मचारियों की तैनाती हुई
विजिलेंस की टीम वेतन भुगतान, उपस्थिति रजिस्टर, ड्यूटी ऑर्डर, और नियुक्ति पत्रों की भी जांच कर रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और प्रशासनिक दबाव
इस पूरे मुद्दे पर निगम सदन में भी विरोध दर्ज किया जा चुका है, खासकर तब जब नगर निगम के पास वेतन देने का बजट सीमित होने के बावजूद कर्मचारियों की संख्या में इजाफा देखा गया। कई पार्षदों ने इसे "आशंकित भ्रष्टाचार" बताया है और इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी।
सूत्रों के मुताबिक, अगर नगर निगम से समय पर दस्तावेज नहीं मिलते, तो विजिलेंस विभाग सीधे कर्मचारियों से पूछताछ और संबंधित एजेंसियों पर एफआईआर दर्ज करने की दिशा में भी कदम उठा सकता है। अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि क्या यह जांच नगर निगम में व्याप्त कथित 'भर्ती घोटाले' की परतें खोल पाएगी या नहीं।
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