हिसार: 8 महीने के मासूम युवांश की जान बचाने के लिए 16 करोड़ की जरूरत, पुलिसकर्मी पिता लगा रहा गुहार
बाबूशाही ब्यूरो
हिसार, 22 जून — हरियाणा के हिसार जिले के आदमपुर के गांव जाखोद खेड़ा निवासी 8 महीने का मासूम युवांश स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) नामक दुर्लभ और जानलेवा बीमारी से जूझ रहा है। इस बीमारी से बेटे को बचाने के लिए फतेहाबाद साइबर शाखा में तैनात पुलिस कॉन्स्टेबल राजेश को 16 करोड़ रुपए के जोलगेन्समा इंजेक्शन की जरूरत है, जो दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में से एक मानी जाती है।
अब तक जुटा पाए सिर्फ 27 लाख, दर-दर की लगाई गुहार
राजेश ने बताया कि अब तक लोगों की मदद से वे करीब 27 लाख रुपये जुटा चुके हैं, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। उन्होंने बेटे की जान बचाने के लिए न केवल वरिष्ठ अधिकारियों एडीजीपी और एसपी को पत्र लिखा, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, सलमान खान, गौतम अडानी, टाटा फाउंडेशन और सोनू सूद से भी मदद की अपील की है।
पुलिसकर्मियों ने दिखाई इंसानियत, वेतन देने का किया फैसला
राजेश की इस अपील के बाद हरियाणा पुलिस के कई जिलों—सिरसा, कैथल, फतेहाबाद समेत छह जिलों—के पुलिस कर्मचारियों ने एक-एक दिन का वेतन दान करने का फैसला लिया है। फतेहाबाद के पुलिस अधीक्षक सिद्धांत जैन ने भी भरोसा दिलाया है कि हर संभव मदद की जाएगी। वहीं, आदमपुर के विधायक चंद्रप्रकाश ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आर्थिक सहयोग देने की अपील की है।
जन्म के बाद से दिखे थे लक्षण, SMA टाइप-1 की हुई पुष्टि
राजेश ने बताया कि उनका बेटा युवांश पिछले साल 9 अक्टूबर को पैदा हुआ था, लेकिन वह दो महीने का होने के बाद भी सामान्य बच्चों की तरह सक्रिय नहीं था। पहले हिसार के डॉक्टरों ने इसे सामान्य बताया, लेकिन जब हालात बिगड़े तो पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज करवाया गया। 18 मई को युवांश की रिपोर्ट में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 की पुष्टि हुई।
क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA)?
SMA एक गंभीर न्यूरो-मस्क्युलर रोग है जिसमें रीढ़ की हड्डी की नसें काम करना बंद कर देती हैं, जिससे मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं। इसका असर बच्चे के शरीर की गति और विकास पर पड़ता है। टाइप-1 SMA सबसे गंभीर श्रेणी मानी जाती है, जो नवजात शिशुओं को प्रभावित करती है।
जोलगेन्समा: 16 करोड़ की एक उम्मीद
इस बीमारी का इलाज सिर्फ एक ही इंजेक्शन—जोलगेन्समा—से संभव है, जिसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है। यह इंजेक्शन स्विट्जरलैंड की कंपनी नोवार्टिस द्वारा बनाया गया है और दो साल से कम उम्र के बच्चों को ही दिया जाता है। यह खराब जीन को ठीक कर शरीर को दोबारा स्वस्थ करता है। हालांकि, इसकी भारी कीमत आम परिवार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
राजेश की अपील:
"मैं एक पिता हूं, मेरी ड्यूटी देश की सेवा है, लेकिन आज मैं अपने बेटे की जिंदगी के लिए देशवासियों से मदद मांग रहा हूं। कृपया युवांश को एक मौका दीजिए ज़िंदगी जीने का।”
जो भी लोग मदद करना चाहते हैं, वे राजेश से संपर्क कर सकते हैं या जिला पुलिस के माध्यम से सहयोग कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर हैशटैग #SaveYuvansh के जरिए अभियान भी चलाया जा रहा है।
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