चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक में पार्षद गुरप्रीत सिंह गाबी का बड़ा सवाल – 24/7 जल सप्लाई प्रोजेक्ट पर विजिलेंस जांच की मांग
– कंसल्टेंसी फीस और ट्यूबवेल ऑपरेटरों की कटौती को लेकर नगर निगम प्रशासन पर साधा निशाना
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 3 जून 2025:
नगर निगम की मासिक सदन बैठक में मंगलवार को कांग्रेस पार्षद गुरप्रीत सिंह गाबी ने 24 घंटे पानी की सप्लाई देने के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को तत्काल बंद करने और विजिलेंस जांच की मांग की। गाबी ने आरोप लगाया कि यह प्रोजेक्ट न केवल भारी वित्तीय अनियमितताओं से ग्रस्त है, बल्कि आमजन और निगम कर्मचारियों के हितों के साथ भी खिलवाड़ है।
कंसल्टेंसी फीस पर उठाया सवाल
पार्षद गाबी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट मनीमाजरा क्षेत्र में शुरू हुआ था, लेकिन इसे बंद किया जाना चाहिए क्योंकि इसकी लागत 500 करोड़ से बढ़कर 1400 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। उन्होंने विशेष रूप से 29 करोड़ रुपये की कंसल्टेंसी फीस को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि यह कुल लागत का 8% बनता है, जो दुनिया में कहीं भी नहीं देखा गया।
"कंसल्टेंसी के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि धरातल पर कोई ठोस परिणाम नहीं है। इस प्रोजेक्ट की पारदर्शिता संदेह के घेरे में है और इसकी विजिलेंस जांच अनिवार्य हो चुकी है," – पार्षद गुरप्रीत सिंह गाबी।
ट्यूबवेल ऑपरेटरों की कटौती पर भी नाराज़गी
गाबी ने ट्यूबवेल ऑपरेटरों की तैनाती में कटौती को लेकर भी नगर निगम अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि एक ट्यूबवेल को स्टार्ट करने में 20-25 मिनट लगते हैं और ऐसे में एक ऑपरेटर को तीन-तीन ट्यूबवेल संभालने के लिए कहना अव्यवहारिक और असुरक्षित है।
"अगर कोई एक ट्यूबवेल स्टार्ट करके दूसरे पर जाता है और पीछे से पानी में कुछ मिलाया गया तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा – मेयर या नगर निगम अधिकारी?" – गाबी
उन्होंने कहा कि यह केवल 672 ट्यूबवेल ऑपरेटरों का मसला नहीं है, बल्कि चंडीगढ़ के 14 लाख नागरिकों को स्वच्छ जल आपूर्ति से जुड़ा मुद्दा है।
निगम प्रशासन पर लगाया मनमानी का आरोप
गाबी ने यह भी कहा कि ट्यूबवेल ऑपरेटरों को हटाना उनके परिवारों की सुरक्षा और आजीविका पर सीधा प्रहार है। उन्होंने मांग की कि प्रशासन को इन कर्मचारियों को हटाने से पहले जनहित, जल गुणवत्ता और सुरक्षा जैसे पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
सदन में गर्मा गया माहौल
गाबी के इन आरोपों और मांगों के बाद सदन में कुछ समय तक माहौल गर्मा गया। मेयर और निगम अधिकारियों ने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, जिससे विपक्ष ने नाराज़गी जाहिर की।
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