HVPNL का कनिष्ठ अभियंता दीपक दलाल रिश्वत मामले में गिरफ्तार, पहले ही रंगे हाथों पकड़ा जा चुका है निजी व्यक्ति रोशन लाल
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 3 जून। हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो (एंटी करप्शन ब्यूरो), रोहतक की टीम ने आज एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (एचवीपीएनएल), फाजिलपुर, जिला सोनीपत में तैनात कनिष्ठ अभियंता दीपक दलाल को भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी फरार चल रहा था और पकड़े जाने से बच रहा था, लेकिन जांच के दौरान उसके खिलाफ ठोस साक्ष्य और तथ्य सामने आने के बाद उसे गिरफ़्तार किया गया।
आज आरोपी को माननीय न्यायालय, सोनीपत में पेश कर एक दिन का पुलिस रिमांड भी लिया गया है ताकि पूछताछ में और तथ्य जुटाए जा सकें।
मुआवज़ा दिलवाने के नाम पर रिश्वत मांगने का आरोप
मामला 1 जनवरी 2025 की एक शिकायत से जुड़ा है, जिसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसके खेतों में सरकारी बिजली लाइन के खंभे लगाए गए थे, और इसके बदले सरकार की ओर से मुआवज़ा राशि के दो चेक — कुल ₹2,62,500 — उसे मिलने थे।
शिकायत के अनुसार, रोशन लाल नामक एक प्राइवेट व्यक्ति, जो खुद को बिजली विभाग का जेई (जूनियर इंजीनियर) बताकर परिचय दे रहा था, शिकायतकर्ता के घर पहुंचा और दो चेक दिखाकर कहा कि वे उसके हैं। इसके बाद उसने यह भी कहा कि वह खेत में खंभा लगाने के कारण हुई फसल क्षति का भी अतिरिक्त मुआवजा दिलवा सकता है — लेकिन इसके लिए ₹62,000 की रिश्वत मांगी गई।
शिकायतकर्ता ने ₹5,000 नकद अग्रिम राशि के रूप में दे दिए, जबकि बाकी ₹57,000 की मांग फिर से की गई। इसकी सूचना तुरंत एसीबी को दी गई।
रंगे हाथों पकड़ा गया था रोशन लाल, अब जेई दीपक दलाल भी गिरफ्त में
एसीबी की टीम ने 1 जनवरी 2025 को ही ट्रैप ऑपरेशन में रोशन लाल को ₹57,000 नकद रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था। उसके खिलाफ धारा 7, पीसी एक्ट 1988 के तहत मुकदमा संख्या 01/2025 थाना भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, रोहतक में दर्ज किया गया, और 28 फरवरी 2025 को चालान माननीय न्यायालय में पेश भी कर दिया गया।
अब इस पूरे प्रकरण में दीपक दलाल की संलिप्तता सामने आने के बाद उसे भी आरोपी बनाया गया है और 3 जून 2025 को गिरफ़्तार कर लिया गया।
विजिलेंस ब्यूरो की सख्ती, सरकारी अफसरों पर शिकंजा
एसीबी की यह कार्रवाई एक और संकेत है कि राज्य सरकार और विजिलेंस एजेंसियां भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही हैं। इस मामले में सरकारी अधिकारी और निजी व्यक्ति की मिलीभगत से मुआवजे की प्रक्रिया में रिश्वत का खेल चल रहा था, जिसे अब उजागर कर कठोर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
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