चंडीगढ़ में अफसरशाही का बोझ क्यों बढ़ रहा?"
आरटीआई एक्टिविस्ट आर.के. गर्ग ने उठाए सवाल – MHA की चुप्पी और नॉन-IAS की पोस्टिंग पर जताई आपत्ति
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 08 जून 2025। प्रख्यात आरटीआई एक्टिविस्ट और समाजसेवी आर.के. गर्ग ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय (MHA) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन में आईएएस अधिकारियों की संख्या और नॉन-आईएएस अधिकारियों को उच्च पदों पर नियुक्त करने को लेकर आवाज़ बुलंद की है।
3 जनवरी 2025 की नोटिफिकेशन पर अब तक अमल नहीं
आर.के. गर्ग ने बताया कि गृह मंत्रालय ने 3 जनवरी 2025 को एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें देश की सभी केंद्रशासित प्रदेशों के लिए प्रशासनिक ढांचे का स्पष्ट उल्लेख किया गया था। इसी अधिसूचना में चंडीगढ़ के लिए भी संविधानिक ढांचा, स्वीकृत पदों की संख्या, और आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए थे।
लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी इस पर अमल होता दिखाई नहीं देता।
ऑफिसर्स की संख्या पहले ही ज़्यादा, फिर भी नई नियुक्तियां
आर.के. गर्ग ने खुलासा किया कि वर्तमान में चंडीगढ़ में प्रस्तावित संख्या से अधिक आईएएस अधिकारी कार्यरत हैं, और आने वाले हफ्तों में तीन और आईएएस अधिकारी यहां ज्वाइन करने वाले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इससे ओवरस्टाफिंग का संकट और प्रशासनिक असंतुलन उत्पन्न हो रहा है।
नॉन-IAS अधिकारियों को सेक्रेटरी बनाना अनुचित
गर्ग ने सवाल उठाया कि कई बार अनुभवहीन और नॉन-IAS अधिकारियों को भी विभिन्न विभागों का सचिव बना दिया जाता है, जिससे प्रशासनिक गुणवत्ता पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा:
“जब किसी अनुभवहीन व्यक्ति को एक बड़े और तकनीकी विभाग की जिम्मेदारी दी जाती है, तो काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है और जनता को समय पर सेवाएं नहीं मिल पातीं।”
RTI का जवाब नहीं, सिर्फ फ़ाइल ट्रांसफर
इस मामले में गर्ग ने गृह मंत्रालय को RTI (सूचना का अधिकार) के तहत आवेदन कर पूछा था कि —
कितने अधिकारी तैनात किए गए हैं?
गजट नोटिफिकेशन के अनुसार कितनी स्वीकृत पोस्ट हैं?
और अधिक अधिकारियों को नियुक्त करने की वजह क्या है?
लेकिन MHA ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। बल्कि आवेदन को चंडीगढ़ प्रशासन के पास भेज दिया गया।
गर्ग का कहना है कि यह सूचना अधिकार अधिनियम की भावना के विरुद्ध है। क्योंकि चंडीगढ़ प्रशासन खुद MHA के अधीन काम करता है, और जब आदेश स्वयं MHA द्वारा जारी किया गया है, तो जवाबदेही भी उनकी होनी चाहिए।
बढ़ते खर्च और जवाबदेही पर सवाल
उन्होंने यह भी पूछा कि अधिक अधिकारी होने से उत्पन्न खर्च किस मद से उठाया जाएगा? क्या इसके लिए विशेष बजट है? यदि नहीं, तो अतिरिक्त बोझ आम जनता पर क्यों डाला जा रहा है?
❗ प्रशासनिक असंतोष और पारदर्शिता की मांग
आर.के. गर्ग का कहना है कि यह संपूर्ण स्थिति चंडीगढ़ की प्राकृतिक विकास प्रक्रिया को बाधित कर रही है। अफसरों की बढ़ती संख्या, अनुभवहीन लोगों की पोस्टिंग और पारदर्शिता की कमी – यह सब मिलकर प्रशासनिक असंतोष को जन्म दे रहे हैं।
उन्होंने अंत में सवाल किया कि:
"क्या केंद्र सरकार अपनी ही अधिसूचना को लागू नहीं करना चाहती? यदि हां, तो 3 जनवरी 2025 की अधिसूचना का क्या औचित्य है?"
गर्ग ने मांग की है कि गृह मंत्रालय को स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से यह बताना चाहिए कि चंडीगढ़ में प्रशासनिक ढांचे को कैसे लागू किया जा रहा है, और क्यों अधिसूचना के बावजूद कार्यवाही अधूरी है।
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