ब्रिटेन में हरियाणा के छात्र को गलत तरीके से वीजा रद्द करने और अवैध हिरासत के लिए मिला ₹26.2 लाख का मुआवज़ा: सुखविंदर नारा की लॉ फर्म की कानूनी जीत
रमेश गोयत
चंडीगढ़/लंदन, 26 जुलाई 2025:
हरियाणा के एक छात्र को ब्रिटेन सरकार के होम ऑफिस से £22,500 (लगभग ₹26.2 लाख) का मुआवज़ा मिला है। यह मुआवज़ा छात्र की 27 दिनों की अवैध हिरासत, मानसिक तनाव और अवसरों के नुकसान के लिए दिया गया है। यह कानूनी सफलता लंदन स्थित नारा सॉलिसिटर्स की ओर से हासिल हुई, जिसका नेतृत्व पूर्व सीनियर डिप्टी एडवोकेट जनरल, हरियाणा, एडवोकेट सुखविंदर नारा कर रहे हैं।
इस छात्र के साथ यह घटना तब हुई जब वह वैध स्टूडेंट वीज़ा पर ब्रिटेन में रह रहा था। 13 नवंबर 2024 को इमिग्रेशन अधिकारियों ने उसके कार्यस्थल पर छापा मारा और आरोप लगाया कि उसने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए निर्धारित 20 घंटे साप्ताहिक कार्य सीमा का उल्लंघन किया। उसी दिन उसका वीजा रद्द कर दिया गया और उसे हिरासत में ले लिया गया। 21 नवंबर को भारत भेजने के आदेश भी जारी कर दिए गए और छात्र को इमिग्रेशन रिमूवल सेंटर में बंद कर दिया गया।
छात्र ने लंदन की नारा सॉलिसिटर्स फर्म से संपर्क किया और 28 नवंबर 2024 को हाई कोर्ट की किंग्स बेंच डिवीजन, लंदन, में न्यायिक पुनरीक्षण याचिका (Judicial Review) दायर की गई। याचिका में दो मुख्य बिंदुओं पर आपत्ति जताई गई—पहला, वीजा रद्द करने में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ और दूसरा, हिरासत की वैधता कानूनी मानकों पर खरी नहीं उतरती।
याचिका दाखिल होने के कुछ दिनों बाद ही, 9 दिसंबर को छात्र का वीजा बहाल कर दिया गया और 10 दिसंबर 2024 को उसे हिरासत से रिहा कर दिया गया।
होम ऑफिस ने शुरुआत में £17,500 का मुआवज़ा प्रस्तावित किया, जिसे नारा सॉलिसिटर्स ने अपर्याप्त मानते हुए चुनौती दी। निरंतर कानूनी पैरवी और मजबूती से तर्क रखने के बाद, अंततः £22,500 का मुआवज़ा तय हुआ। इसके अतिरिक्त, छात्र के कानूनी खर्चों को अलग से चुकाने पर भी सहमति बनी।
एडवोकेट सुखविंदर नारा ने इस फैसले को न केवल छात्र के अधिकारों की जीत बताया, बल्कि इसे एक मिसाल बताया कि प्रवासी छात्रों के साथ अन्याय होने पर भी कानूनी रास्तों से न्याय पाया जा सकता है।
यह मामला भारत और खासकर हरियाणा के छात्रों के लिए एक चेतावनी और सबक दोनों है कि विदेश में पढ़ाई और काम के दौरान अपने वीज़ा की शर्तों और अधिकारों को समझना अत्यंत आवश्यक है। वहीं यह एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है कि जब सही तरीके से और समय पर कानूनी सहायता ली जाती है, तो न्याय ज़रूर मिलता है।
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