Saiyaara फिल्म देख क्यों रो रहे हैं लोग? जानिए फिल्म में क्या है, जो कर रहा है Audience को रोने पर मजबूर
Babushahi Bureau
चंडीगढ़, 26 July 2025 : इन दिनों थिएटर सिर्फ मनोरंजन का ज़रिया नहीं रह गया, बल्कि भावनाओं का मैदान बन चुका है। एक फिल्म ऐसी आई है, जिसे देखकर लोग अपने आंसू रोक नहीं पा रहे। कोई सीट पर फूट-फूटकर रो रहा है, तो कोई घबराहट में बेहोश होकर अस्पताल पहुंच रहा है। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें दर्शकों की हालत देखकर हर कोई हैरान है—क्या वाकई एक फिल्म किसी को इतना भावुक कर सकती है?
इसी बीच सबसे बड़ा सवाल उठता है—आख़िर ये फिल्म है कौन-सी? और ऐसा क्या दिखा दिया इसमें कि लोगों की भावनाएं बेकाबू हो गईं? कहीं ये कोई दिल तोड़ने वाली सच्ची कहानी तो नहीं? क्या कोई पुरानी याद, कोई दबी हुई तकलीफ़ या कोई ऐसा मोड़ है जो दिल को अंदर तक हिला देता है? यही वजह है कि ‘मेंटल ट्रिगर’ जैसे शब्द भी चर्चा में आ गए हैं, क्योंकि अब ये फिल्म सिर्फ स्क्रीन पर नहीं, लोगों के दिलों पर चल रही है।
तो चलिए, आज उसी फिल्म की बात करते हैं—‘सैयारा’ की, जिसने इमोशंस के समंदर में ऐसा तूफान खड़ा किया कि लोग संभल नहीं पा रहे। जानेंगे इसकी कहानी, उन किरदारों को जिनसे लोग खुद को जोड़ बैठते हैं, और उन पलों को, जो दर्शकों के सीने में कहीं दबी हुई किसी टीस को फिर से जगा देते हैं।
थिएटर नहीं, इमोशंस का समंदर बन गए हैं सिनेमाघर, 'सैयारा' ने छेड़ दिए हैं दिल के पुराने जख्म
इन दिनों थिएटर सिर्फ स्क्रीन पर चलती एक फिल्म का अनुभव नहीं रह गया। एक फिल्म है जो लोगों को हंसने, डरने या रोमांचित करने की जगह... रोने पर मजबूर कर रही है। नाम है – ‘सैयारा’। लोग सीटों पर बैठे-बैठे आंसुओं में भीग जा रहे हैं, कुछ की हालत ऐसी हो गई कि एम्बुलेंस बुलानी पड़ी, तो कुछ को IV ड्रिप लगाकर भी फिल्म देखने से रोका नहीं गया।
ऐसा क्या है इस फिल्म में? क्या वाकई में एक कहानी इतने गहरे जख्म उधेड़ सकती है? ‘सैयारा’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक एहसास बन चुकी है, जिसे देखने के बाद कई लोग पुरानी मोहब्बत, अधूरी बातों और छूटे रिश्तों को दोबारा जीने लगते हैं। आज हम बात करेंगे कि आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है, जो इसे महज एक सिनेमाई अनुभव से कहीं आगे ले जाता है।
फिल्म की कहानी: एक सिंगर, एक राइटर और अधूरी मोहब्बत की दास्तां
‘सैयारा’ की कहानी कृष (अहान पांडे) और वाणी (अनीत पड्डा) की है — एक महत्वाकांक्षी सिंगर और एक संवेदनशील गीतकार। दोनों की मुलाकात संगीत के ज़रिए होती है और यही संगीत उन्हें प्यार में भी बांध देता है। मगर कहानी यहां खत्म नहीं होती... असल मोड़ तब आता है जब वाणी को अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है।
वाणी धीरे-धीरे कृष को, उनके साथ बिताए लम्हों को, हर उस गीत को भूलने लगती है जो उन्होंने साथ लिखा था। और यहीं से शुरू होता है इमोशन्स का वो तूफान, जो थिएटर में बैठे दर्शकों को भी हिला देता है। फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे लोग अपने अंदर की अधूरी बातों और खोए हुए रिश्तों से जुड़ते जाते हैं।
आख़िर क्यों रो रहे हैं लोग? सैयारा सिर्फ कहानी नहीं, एक आईना है
दिल्ली, भोपाल, लखनऊ — देश के अलग-अलग हिस्सों से वीडियो सामने आ रहे हैं। एक लड़का थिएटर में ही घबराहट के कारण पसीने-पसीने हो गया, लड़की को रोते-रोते चुप कराना मुश्किल हो गया, कपल्स सीट पर एक-दूसरे का हाथ थामे बस चुपचाप आंसू बहाते रहे।
ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ‘सैयारा’ की कहानी एकदम असल लगती है। जो लोग ब्रेकअप से गुजरे हैं, जो किसी अपने को खो चुके हैं, या जो खुद को कभी प्यार में अधूरा महसूस कर चुके हैं — उन्हें ये फिल्म सीधे उनके सबसे नाज़ुक ज़ख्म पर हाथ रखती है। लोग सिर्फ फिल्म नहीं देख रहे, वो अपने पुराने दर्द को फिर से जी रहे हैं।
क्या है Mental Trigger? और क्यों ये फिल्म है इतना गहरा ट्रिगर
‘सैयारा’ ने एक और शब्द को चर्चा में ला दिया है — Mental Trigger। इसका मतलब होता है कोई ऐसा दृश्य, गाना, शब्द या स्थिति जो हमारे दिमाग में पुरानी भावनाओं, दुखों या यादों को दोबारा ज़िंदा कर दे।
फिल्म के इमोशनल मोमेंट्स, लिरिक्स, और किरदारों की तकलीफें लोगों को उन अनुभवों की याद दिला रही हैं जिन्हें वो शायद खुद भी भूल चुके थे। यही वजह है कि बहुत से दर्शकों को anxiety, panic attacks जैसी स्थितियों का भी सामना करना पड़ा है।
सिनेमाघरों में सन्नाटा, दिलों में तूफान
मोहित सूरी के निर्देशन और अहान-अनीत की केमिस्ट्री ने एक ऐसी फिल्म को जन्म दिया, जो सिर्फ देखी नहीं जाती, महसूस की जाती है। शायद इसीलिए लोग इसे “फिल्म नहीं, जिंदगी की सबसे हसीन और सबसे दर्दनाक याद” कह रहे हैं।
MA
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