हर गुमशुदा चेहरा फिर मुस्कराया, जब हरियाणा पुलिस ने उसे उसके अपनों से मिलवाया
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 1 मई। हरियाणा पुलिस की संवेदनशील और मानवीय पहल ने हजारों टूटे हुए परिवारों को फिर से जोड़ा है। बीते लगभग डेढ़ वर्षों में हरियाणा की एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) ने 1974 गुमशुदा लोगों को उनके परिजनों से मिलवाकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।
एक आठ साल की उम्र में लापता हुआ बच्चा, जब युवावस्था में पढ़ाई पूरी कर रहा था और वर्षों बाद अपनी मां से गले मिला, तो वहां मौजूद हर आंख नम थी। यह केवल एक कहानी नहीं, बल्कि उन सैकड़ों भावनात्मक किस्सों में से एक है, जहां हरियाणा पुलिस की कोशिशों ने रिश्तों को फिर से जीवन दिया।
20 साल बाद बेटे की आवाज सुनकर मां ने कहा – “तू ज़िंदा है”
डीजीपी श्री शत्रुजीत कपूर ने बताया कि अगस्त 2023 के बाद से 44 ऐसे मामले सामने आए, जहां 20 वर्षों से परिवार अपने प्रियजनों की तलाश कर रहे थे। पहचान बदलने, भाषा और मानसिक स्थिति में बदलाव के बावजूद पुलिस ने हर सुराग को जोड़ा और मिलन संभव बनाया।
बदले चेहरे, लेकिन नहीं बदली उम्मीद
मानसिक रूप से अस्वस्थ, भाषा से अंजान या दिव्यांग—हर व्यक्ति तक पहुंचने के लिए पुलिस ने कड़ी मेहनत की। तस्वीरों का मिलान, केस फाइलों की पड़ताल और हर सुराग की जांच से यह मुमकिन हो सका।
संवेदनशीलता की मिसाल बनी हरियाणा पुलिस
साल 2024 के पहले तीन महीनों में ही हरियाणा पुलिस ने 2781 वयस्कों को उनके परिजनों से मिलाया। ये केवल आंकड़े नहीं, बल्कि 2781 कहानियां हैं – किसी मां की मुस्कान, किसी पिता की राहत और किसी बहन की दुआ का परिणाम।
606 नाबालिग बच्चों की घर वापसी, 183 भिखारी और 176 बाल श्रमिक रेस्क्यू
जनवरी से मार्च 2025 के बीच हरियाणा पुलिस ने 606 नाबालिग बच्चों को उनके घरों तक पहुंचाया। साथ ही 183 भिखारी बच्चों और 176 बाल मजदूरों को रेस्क्यू कर उनका पुनर्वास सुनिश्चित किया गया।
ऑपरेशन मुस्कान: जहां हर चेहरा फिर मुस्कराया
मार्च 2025 में चलाए गए ऑपरेशन मुस्कान के अंतर्गत 91 बच्चों और 117 वयस्कों का पुनर्मिलन हुआ। साथ ही 360 भीख मांगने वाले बच्चों और 640 बाल श्रमिकों को बचाया गया। इस अभियान में 18 बच्चों और 43 वयस्कों से जुड़े मामलों में एफआईआर का निपटारा भी किया गया।
गुरुग्राम से अम्बाला तक गूंजी वापसी की कहानियां
प्रदेश भर में जिला पुलिस ने अभियान चलाया, जिसमें गुरुग्राम ने 129 बच्चों और 125 वयस्कों को परिजनों से मिलाया। अम्बाला सहित कई जिलों में भी वर्षों बाद अपनों से मिलने की कहानियां सामने आईं। मार्च में 203 भीख मांगते और 250 बाल मजदूरों को रेस्क्यू कर मुख्यधारा में लाया गया।
"हमने सिर्फ केस नहीं सुलझाए, घर बसाए" – डीजीपी
पुरस्कार वितरण के अवसर पर डीजीपी कपूर ने कहा, "हर एक केस के सुलझने के साथ एक परिवार की उम्मीदें, नींदें और सुकून लौटता है।" उन्होंने पुलिस कर्मियों की संवेदनशीलता और समर्पण को सच्चे अर्थों में मानवीय पुलिसिंग बताया।
हरियाणा पुलिस: अब सिर्फ कानून नहीं, रिश्तों की रखवाली भी
हरियाणा पुलिस ने यह सिद्ध कर दिया है कि पुलिसिंग केवल अपराध नियंत्रण नहीं, बल्कि भरोसे और मानवीय रिश्तों को जोड़ने का नाम है। इन 1974 कहानियों ने न केवल गुमशुदा चेहरों को अपनों से मिलाया, बल्कि पूरे समाज में भरोसे की एक नई लहर जगा दी है
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