हरियाणा सूचना आयोग में पूर्व लोक सेवा आयोग के सदस्य नियुक्त, संवैधानिक विवाद का जोखिम
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 24 मई 2025 – हरियाणा सूचना आयोग में अब दो पूर्व हरियाणा लोक सेवा आयोग (एच.पी.एस.सी.) सदस्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्त हुए हैं, जिनकी नियुक्ति को लेकर संवैधानिक पेच फंसने की संभावना जताई जा रही है।
नव नियुक्त सूचना आयुक्त नीता खेड़ा, जो अगस्त 2016 से अगस्त 2022 तक हरियाणा लोक सेवा आयोग की सदस्य रहीं, और डॉ. कुलबीर छिकारा, जो अप्रैल 2023 में नियुक्त हुए तथा जून 2015 से अगस्त 2021 तक आयोग के सदस्य रहे, दोनों के नियुक्ति पर सवाल उठ रहे हैं।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट एवं संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हेमंत कुमार के अनुसार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 319(डी) के अंतर्गत राज्य लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य को केंद्र या राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर नियुक्त करना वैध नहीं है। यह अनुच्छेद पूर्व लोक सेवा आयोग के सदस्य की किसी अन्य सरकारी सेवा में नियुक्ति पर रोक लगाता है।
हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय चयन समिति के सुझाव पर 26 मई को नीता खेड़ा समेत चार अन्य को राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्त करने की योजना बनाई है। यह समिति कैबिनेट मंत्री महिपाल ढांडा और कांग्रेस विधायक दल के विशेष प्रतिनिधि भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी शामिल थी। इससे पहले, मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की एक समिति ने प्राप्त आवेदनों की छंटनी कर चयन समिति को तीन गुना उम्मीदवार सूची भेजी थी।
एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि राज्य सूचना आयोग एक स्वायत्त संस्था है, लेकिन क्योंकि यह केंद्र या राज्य सरकार के अधीन अधिनियमित है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 319(डी) की शर्तें लागू होती हैं। इसलिए पूर्व लोक सेवा आयोग के सदस्य की नियुक्ति इस पद पर संवैधानिक बाधा उत्पन्न कर सकती है। यदि कोई पक्ष अदालत में चुनौती देता है, तो नियुक्तियों को खारिज किया जा सकता है।
विशेष रूप से, पिछले दो वर्षों से डॉ. कुलबीर छिकारा की नियुक्ति पर कोई कानूनी चुनौती नहीं आई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भविष्य में विवाद नहीं हो सकता। भारत सरकार ने भी अब तक केंद्र सरकार में किसी पूर्व लोक सेवा आयोग सदस्य को केंद्रीय सूचना आयोग में नियुक्त नहीं किया है।
हरियाणा सरकार की दलील है कि सूचना आयोग एक क्वासि-जूडिशल (अर्ध-न्यायिक) स्वायत्त संस्था है, इसलिए इन नियुक्तियों में कोई संवैधानिक अड़चन नहीं होनी चाहिए। लेकिन कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य/केंद्र सरकार के अधीन स्थापित किसी संस्था में नियुक्ति को संबंधित सरकार के अधीन नियुक्ति माना जाएगा।
हरियाणा सूचना आयोग में इन नियुक्तियों के संवैधानिक विवाद को लेकर अब कोर्ट में चुनौती की संभावना बनी हुई है, जो राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और नियुक्ति प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
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