चंडीगढ़ में ट्रैफिक पुलिस का चालान के नाम पर ‘वसूली खेल’, टोहाना के पंचायत समिति चेयरमैन ने उठाई आवाज
हरियाणा के पंचायत समिति चेयरमैन बोले – "चालान नहीं, रिश्वत मांग रहे थे"
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 03 जून 2025:
ट्रैफिक नियमों की सख्ती के लिए पहचाने जाने वाले चंडीगढ़ में अब इसी नियम पालन के नाम पर कथित 'वसूली खेल' सामने आ रहा है। हरियाणा के टोहाना (फतेहाबाद) के पंचायत समिति अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार ने चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
पत्नी के पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए चंडीगढ़ आए थे सुरेन्द्र
सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि वे अपनी पत्नी के पासपोर्ट वेरिफिकेशन के कार्य के लिए 30 मई 2025 को चंडीगढ़ आए थे। उनके अनुसार, चूंकि उनकी खुद की गाड़ी उपलब्ध नहीं थी, इसलिए वे अपने एक मित्र की निजी गाड़ी मांगकर चंडीगढ़ आए थे।
जब वह सुबह करीब 10:45 बजे Hallo Majra चौक पहुंचे, तो ट्रैफिक पुलिस के एक एएसआई ने उन्हें रोक लिया। गाड़ी की बम्पर पर लगी रेड व ब्लू लाइट और थोड़े बाहर निकले टायर को नियम उल्लंघन बताते हुए ₹20,000 का चालान काटने की धमकी दी गई।
‘कैश दो, वरना चालान होगा’ – एएसआई का कथित रवैया
सुरेन्द्र कुमार ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने पैसे नहीं होने की बात कही, तो एएसआई ने कहा कि अगर ₹10,000 नकद दे दो, तो मामला निपट सकता है। सुरेन्द्र ने जवाब दिया कि उनके पास केवल ₹2,000 ही कैश है। इसके बाद एएसआई ने ₹2,000 नकद और ₹500 गूगल पे से लेकर ₹500 का चालान काट दिया।
“उसने मेरा पर्स तक देख लिया और सारा कैश ले लिया। यह नहीं सोचा कि मैं बाहर से आया हूं और यह पैसे मेरे जरूरी कामों के लिए थे,” सुरेन्द्र कुमार ने कहा।
DSP को फोन पर दी सूचना, फिर भी नहीं हुई सुनवाई
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस घटना के तुरंत बाद सुरेन्द्र कुमार ने खुद ट्रैफिक पुलिस के डीएसपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को फोन कर इस घटना की जानकारी दी, लेकिन किसी ने भी उनकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया।
क्या कहती है यह घटना?
एक जनप्रतिनिधि के साथ हुए इस व्यवहार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
क्या चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस नियमों की आड़ में बाहरी राज्यों से आने वालों को निशाना बना रही है?
क्या सिस्टम में शिकायत करने के बावजूद कार्रवाई न होना दर्शाता है कि गड़बड़ी ऊपर तक फैली हुई है?
सुरेन्द्र कुमार की मांग
सुरेन्द्र कुमार ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच और दोषी एएसआई के खिलाफ निलंबन व विभागीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि:
“अगर मेरे जैसे जनप्रतिनिधि की भी कोई नहीं सुनता, तो आम आदमी के साथ क्या होता होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है।”
? हमारा सवाल प्रशासन से:
क्या ट्रैफिक पुलिस को कानून पालन सिखाना चाहिए या 'कैश वसूली' का नया तरीका?
? आपकी आवाज दबे नहीं – अगर आप भी किसी सरकारी विभाग की गड़बड़ी के गवाह हैं, हमें लिखें। हम आपकी पहचान गोपनीय रखेंगे।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →