चंडीगढ़ में ट्रैफिक चालान का खेल: बाकी मैं सब सेटिंग कर लूंगा, बस ध्यान रखना कि गाड़ी या हमारी कोई फोटो न ले पाए !
वायलेशन के नाम पर बाहरी नंबर प्लेट वाली गाड़ियों को निशाना बनाया जा रहा
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 17 जून। राजधानी चंडीगढ़ में ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान काटने की प्रक्रिया को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। एक ओर जहां ट्रैफिक नियमों की सख्ती का हवाला देकर शहर की सड़कों पर तैनात पुलिसकर्मी चालान की बरसात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह पूरा सिस्टम 'चालान के नाम पर खेल' में तब्दील होता दिख रहा है। खास बात यह है कि बाहरी राज्यों की नंबर प्लेट लगी गाड़ियां इस खेल का मुख्य निशाना बन रही हैं, चाहे उनमें हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट ही क्यों न लगी हो।
हाई सिक्योरिटी प्लेट के बावजूद गाड़ियों को रोका जा रहा
मामला सिर्फ इतना भर नहीं कि नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई हो रही है, बल्कि अब सामने आ रहा है कि चालान काटने के लिए नियमों की मनमानी व्याख्या कर वाहनों को बीच सड़क पर रोका जा रहा है। मंगलवार, 17 जून को मध्यमार्ग स्थित कला ग्राम के पास एक पंजाब नंबर की ब्लैक थार को पुलिस द्वारा साइकिल ट्रैक पर चलने के नाम पर रोक लिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वाहन में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगी थी और किसी स्पष्ट वायलेशन का प्रमाण नहीं था, फिर भी गाड़ी को रोका गया और चालान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।
खेल की तस्वीरें और वीडियो क्यों नहीं बनने दी जाती?
इस पूरे मामले में सबसे गंभीर बात यह है कि चालान काटने के दौरान फोटो और वीडियो बनाने से पुलिस कर्मी जानबूझकर बचते हैं। सूत्रों के अनुसार, इस खेल में एक होमगार्ड या पुलिस जवान को विशेष रूप से यह जिम्मेदारी दी जाती है कि वह आसपास मौजूद किसी भी व्यक्ति को चालान की तस्वीरें या वीडियो बनाने से रोके।
यह 'गोपनीय SOP' थाना स्तर पर बनाई जाती है। सूत्रों का दावा है कि थानेदार स्तर के अधिकारी अपने अधीनस्थों को स्पष्ट निर्देश देते हैं कि चालान की कोई रिकॉर्डिंग न हो, ताकि बाद में शिकायत का कोई आधार न रहे। यहां तक कहा जाता है कि—
"बाकी मैं सब सेटिंग कर लूंगा, बस ध्यान रखना कि गाड़ी या हमारी कोई फोटो न ले पाए।"
क्यों सिर्फ बाहरी राज्यों की गाड़ियां?
चंडीगढ़ की सड़कों पर हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और दिल्ली की नंबर प्लेट वाली गाड़ियां सामान्यतः टारगेट पर होती हैं। स्थानीय वाहन चालकों के मुकाबले बाहरी राज्यों के ड्राइवरों से अधिक सख्ती से निपटा जा रहा है। इस प्रकार के भेदभाव से जहां बाहरी वाहन मालिकों में असंतोष बढ़ रहा है, वहीं शहर की कानून व्यवस्था और ट्रैफिक प्रबंधन की साख भी सवालों के घेरे में है।
सवाल यह उठता है...
यदि कोई वाहन नियम तोड़ रहा है तो चालान काटना जरूरी है, लेकिन उसके सबूत क्यों नहीं जुटाए जाते?
पुलिस द्वारा चालान की वीडियो रिकॉर्डिंग पर रोक क्यों?
क्या चालान का यह ‘खेल’ नियम पालन से ज्यादा, उगाही का जरिया बन चुका है?
अब ज़रूरत है निगरानी की
इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। चंडीगढ़ प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस को चाहिए कि वे सभी चालानों को रिकॉर्ड करने की व्यवस्था करें। प्रत्येक कार्रवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की जाए और जनता को पारदर्शिता का भरोसा दिया जाए।
वरना "वायलेशन के नाम पर चालान का खेल" पुलिस की साख और प्रशासनिक ईमानदारी पर गहरा धब्बा बन सकता है।
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