पंचकूला में अखिल भारतीय महापौर सम्मेलन का आगाज: मेयरों ने कार्यकाल पांच साल करने और पावर बढ़ाने की मांग दोहराई
रमेश गोयत
पंचकूला, 15 जून:
पंचकूला के अमरावती एन्क्लेव में आयोजित दो दिवसीय ऑल इंडिया मेयर्स काउंसिल सम्मेलन में देशभर से आए 45 से अधिक महापौरों ने एक स्वर में महापौरों के कार्यकाल को पांच साल करने और अधिकारों को बढ़ाने की पुरजोर मांग की। महापौरों का कहना था कि जब तक उनके पास प्रशासनिक शक्तियां नहीं होंगी, तब तक वे जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सकते।
इस सम्मेलन की मेजबानी पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल ने की। उन्होंने सम्मेलन में आए राष्ट्रीय अध्यक्ष माधुरी अतुल पटेल, महासचिव उमाशंकर गुप्ता सहित विभिन्न राज्यों से आए महापौरों का स्वागत किया। कुलभूषण गोयल ने बताया कि हरियाणा के सभी मेयरों की विशेष बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें अधिकारियों पर कार्य करवाने के अधिकार और शहरी विकास की दिशा में जरूरी प्रशासनिक स्वायत्तता पर चर्चा हुई।
सोमवार को ये मुद्दे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के समक्ष रखे जाएंगे, जहां शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता, बढ़ती जनसंख्या, योजनाओं के क्रियान्वयन, महापौरों के प्रशिक्षण, ऑडिट रिपोर्ट (2024-25), और ग्रेटर नोएडा में परिषद कार्यालय के निर्माण पर भी चर्चा की जाएगी। इस दौरान ओपन हाउस मीटिंग भी होगी, जहां कोई भी महापौर खुलकर अपने विचार रख सकेगा।
महत्वपूर्ण विषयों पर हुई चर्चा:
देशभर में महापौरों के लिए समान अधिकारों और कानूनी प्रावधानों की मांग।
स्वच्छता में इंदौर मॉडल को अपनाने की सिफारिश, जिसे इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने विस्तार से प्रस्तुत किया।
नई कार्यकारिणी का परिचय और देवास सम्मेलन की समीक्षा।
शहरी निकायों के कार्यभार और सरकार की योजनाओं के बीच समन्वय की चुनौतियों पर विचार।
सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख मेयर:
माधुरी अतुल पटेल (बुरहानपुर)
प्रमिला पांडे (कानपुर)
महंत गिरीशपति त्रिपाठी (अयोध्या)
पूजा विधानी (बिलासपुर)
प्रवीण जोशी (फरीदाबाद)
गजराज सिंह बिष्ट (हल्द्वानी)
प्रशांत सिंघल (अलीगढ़)
सुषमा खर्कवाल (लखनऊ)
रेनू बाला गुप्ता (करनाल)
सुमन बहमनी (यमुनानगर)
राजरानी मल्होत्रा (गुरुग्राम)
राम अवतार वाल्मिकी (रोहतक)
शैलजा सचदेवा (अंबाला)
महासचिव उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि महापौरों की शक्तियों को बढ़ाने के प्रस्ताव को जल्द केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक समान नगर निकाय कानून लागू करने के लिए पहले एक समिति द्वारा रिपोर्ट दी जा चुकी है, लेकिन राजनीतिक बदलावों से निर्णय प्रभावित होते हैं।
यह सम्मेलन देश के शहरी शासन को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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