ऑपरेशन सिंदूर बना आत्मनिर्भर भारत की पहचान: ABRSM की राष्ट्रीय बैठक में देशभर से जुटे 200 शैक्षिक प्रतिनिधि
शिमला में तीन दिवसीय अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) की बैठक सम्पन्न, चंडीगढ़ इकाई ने उठाईं शिक्षकों की अहम मांगें
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़/शिमला, 16 जून:
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) की तीन दिवसीय राष्ट्रीय बैठक 13 से 15 जून तक हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सम्पन्न हुई। बैठक में देशभर से आए करीब 200 शैक्षिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और शिक्षा, अनुसंधान तथा शिक्षक कल्याण से जुड़े विषयों पर विस्तार से चर्चा की।
बैठक में पूर्व डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. सतीश रेड्डी ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया। उन्होंने भारत की रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों की सराहना करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि इसमें प्रयुक्त स्वदेशी मिसाइलें और रक्षा प्रणालियां आज वैश्विक चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उन्होंने 'मेक इन इंडिया से मेक फॉर द वर्ल्ड' पहल को विस्तार से समझाया और शिक्षा एवं अनुसंधान में भारत की प्रगति की प्रशंसा की।
बैठक की अध्यक्षता प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने की। उन्होंने कहा कि राष्ट्र प्रथम के भाव से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करना ही ABRSM का मूल उद्देश्य है। बैठक का संचालन महासंघ की महामंत्री प्रो. गीता भट्ट ने किया जबकि संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर एवं सह संगठन मंत्री जी. लक्ष्मण विशेष रूप से उपस्थित रहे।
चंडीगढ़ इकाई की भागीदारी भी बैठक में उल्लेखनीय रही। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. धर्मेन्द्र शास्त्री, महामंत्री आचार्य संजय रुहेला, महिला सह प्रमुख सुधा मेहता और वरिष्ठ सदस्य सत्यप्रकाश शास्त्री ने प्रतिनिधित्व किया।
चंडीगढ़ इकाई ने शिक्षकों की प्रमुख समस्याओं को राष्ट्रीय मंच पर रखा, जिनमें शामिल हैं –
-
पुरानी पेंशन योजना की बहाली
-
2015 में नियुक्त शिक्षकों के रुके हुए वित्तीय लाभ
-
आकस्मिक अवकाश को 8 से बढ़ाकर 15 दिन करना
-
मेडिकल लीव का प्रावधान लागू करवाना
-
अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) शिक्षकों का नियमितीकरण
-
समय पर पदोन्नति व रिक्त पदों पर नियुक्तियां
बैठक में तय किया गया कि ABRSM देश के शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए चरणबद्ध आंदोलन और संवाद की रणनीति पर आगे बढ़ेगा।
बैठक में इस विचार को भी बल मिला कि –
"राष्ट्र हित में शिक्षा, शिक्षा हित में शिक्षक और शिक्षक हित में समाज"
यह मंत्र ABRSM की कार्यशैली का मूल है। बैठक में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने सुझाव दिए कि शिक्षा नीति को और अधिक शिक्षक-हितैषी और राष्ट्रोन्मुखी बनाया जाए।
शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव और राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका को लेकर ABRSM का यह राष्ट्रीय सम्मेलन एक सशक्त मंच बनकर उभरा।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →