हरियाणा विधानसभा में विधायकों के प्रोटोकॉल उल्लंघन की जांच कमेटी अब तक पुनर्गठित नहीं, एडवोकेट ने उठाई आवाज
तीन महीने से लंबित है पुनर्गठन, हाईकोर्ट एडवोकेट हेमंत कुमार ने स्पीकर को ज्ञापन भेज किया अनुरोध
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 25 जून
हरियाणा विधानसभा में विधायकों के साथ हो रहे प्रोटोकॉल उल्लंघन और अधिकारियों के तिरस्कारपूर्ण व्यवहार की जांच के लिए गठित की गई विशेष कमेटी का कार्यकाल समाप्त हुए तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक इसका पुनर्गठन नहीं हुआ है। इस मुद्दे को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण सहित राज्यपाल, डिप्टी स्पीकर, मुख्यमंत्री, संसदीय कार्यमंत्री और अन्य को ज्ञापन भेजकर कमेटी के शीघ्र पुनर्गठन की मांग की है।
कमेटी की पृष्ठभूमि और कार्य
23 जून 2022 को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने इस कमेटी का गठन पहली बार किया था। इसका उद्देश्य विधायकों को सरकारी कार्यक्रमों में उचित सम्मान न मिलने, उनके पत्रों का समय पर उत्तर न देने, फोन न उठाने, या आमंत्रण पत्र पर नाम न छापने जैसी शिकायतों की जांच करना था।
विधायक अगर किसी सरकारी अधिकारी के ऐसे व्यवहार से आहत हों तो वे विधानसभा सचिव को प्रमाण सहित लिखित शिकायत भेज सकते हैं। शिकायत की जांच के बाद विधानसभा अध्यक्ष उसे समिति को भेज सकते हैं—इसके लिए सदन की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती।
तीन साल में तीन बार चेयरमैन बदले
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2022–23: असीम गोयल (भाजपा) पहले चेयरमैन बनाए गए।
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2023–24: असीम गोयल के राज्य मंत्री बनने के बाद अनिल विज को अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
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2024–25: अनिल विज के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद विनोद भयाना को चेयरमैन बनाया गया।
इस कमेटी में हर बार सात से नौ विधायक सदस्य रहे हैं, जिनमें सत्तारूढ़ भाजपा के साथ-साथ विपक्षी दलों के सदस्य भी शामिल किए गए।
31 मार्च 2025 को समाप्त हुआ कार्यकाल
वित्तीय वर्ष 2024-25 के साथ ही इस कमेटी का कार्यकाल भी समाप्त हो गया। लेकिन अप्रैल में विधानसभा की अन्य 15 समितियों का पुनर्गठन तो कर दिया गया, इस विशेष समिति को शामिल नहीं किया गया। इससे विधायकों में असंतोष और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
प्रोटोकॉल उल्लंघन की घटनाएं लगातार
एडवोकेट हेमंत कुमार ने ज्ञापन में लिखा है कि अतीत में सत्तारूढ़ भाजपा के कुछ विधायक और विपक्षी कांग्रेस विधायक भी सरकारी अधिकारियों द्वारा सम्मानजनक व्यवहार न मिलने की शिकायतें सार्वजनिक रूप से कर चुके हैं। यह स्थिति लोकतांत्रिक मर्यादाओं और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की गरिमा के विरुद्ध है।
ज्ञापन में की गई मांग
एडवोकेट हेमंत ने विधानसभा स्पीकर से आग्रह किया है कि वह शीघ्र इस कमेटी का पुनर्गठन करें, ताकि विधायकों की शिकायतों की संविधान सम्मत और निष्पक्ष जांच की जा सके।
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