हरियाणा में बिजली बिलों को लेकर भ्रम फैलाने वालों पर ऊर्जा मंत्री अनिल विज का पलटवार, कहा – टैरिफ वृद्धि का दावा भ्रामक
“94% घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में या तो कमी आई है या मामूली वृद्धि” – विज
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 25 जून – हरियाणा के ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने बिजली बिलों में भारी वृद्धि के आरोपों को झूठा और भ्रामक करार देते हुए साफ कहा है कि कृषि उपभोक्ताओं के बिजली टैरिफ में कोई बदलाव नहीं हुआ है और 94% घरेलू उपभोक्ताओं के मासिक बिलों में या तो कमी आई है या वृद्धि नगण्य रही है।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि 2 किलोवॉट तक के घरेलू उपभोक्ताओं, जिन्हें श्रेणी-I में रखा गया है, उनके मासिक बिजली बिलों में वर्ष 2014-15 की तुलना में 49% से 75% तक की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं श्रेणी-II (5 किलोवाट तक के उपभोक्ता) के अधिकांश बिलों में भी वास्तविक गिरावट या केवल 1% से कम वृद्धि देखी गई है।
❝बिल चार गुना बढ़ने की बात झूठी❞
विज ने कहा कि “कुछ लोग यह भ्रामक प्रचार कर रहे हैं कि बिजली बिल चार गुना बढ़ गए हैं, जो पूरी तरह से असत्य है। असलियत यह है कि न्यूनतम मासिक शुल्क (MMC) को सभी श्रेणियों के घरेलू उपभोक्ताओं के लिए समाप्त कर दिया गया है, जिससे बिलों में राहत मिली है।”
कृषि उपभोक्ताओं को राहत यथावत
विज ने स्पष्ट किया कि कृषि उपभोक्ताओं को पहले की तरह 10 पैसे प्रति यूनिट (मीटर्ड) और 15 रुपये/बीएचपी/माह (फ्लैट रेट) पर बिजली मिल रही है। मीटर वाले कनेक्शन के लिए MMC को भी घटाकर 180 रुपये (15 BHP तक) और 144 रुपये (15 BHP से ऊपर) कर दिया गया है।
श्रेणी-वार स्थिति
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श्रेणी-I (2 KW तक, 100 यूनिट तक): 2014-15 की तुलना में 49%–75% तक की कमी
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श्रेणी-II (5 KW तक): अधिकतर उपभोक्ताओं को लाभ; कुछ स्लैब में 1% से भी कम वृद्धि
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श्रेणी-III (5 KW से ऊपर): केवल 6% उपभोक्ता इसमें आते हैं; अधिकतम 5%–7% तक की वृद्धि
पड़ोसी राज्यों से कम दरें
मंत्री विज ने बताया कि हरियाणा में बिजली के नियत शुल्क 0 से 75 रुपये/किलोवाट तक और ऊर्जा शुल्क अधिकतम 7.50 रुपये/यूनिट रखा गया है। जबकि पड़ोसी राज्यों में यह 110 रुपये/किलोवाट और 8 रुपये/यूनिट तक है।
सात साल बाद हुई पहली टैरिफ वृद्धि
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि 28 मार्च 2025 को हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित टैरिफ की अनुमति दी। यह वर्ष 2017-18 के बाद पहली बार हुआ है कि टैरिफ में समायोजन किया गया है, जो कि बिजली खरीद और परिचालन लागतों में वृद्धि के मद्देनजर आवश्यक था।
तकनीकी हानि में भारी कमी
मंत्री ने कहा कि AT&C लॉसेस, जो 2014-15 में 29% थे, उन्हें घटाकर 10% तक लाया गया है—यह वित्तीय अनुशासन और ऑपरेशनल दक्षता का परिणाम है।
निष्कर्ष:
ऊर्जा मंत्री ने दो टूक कहा कि “हरियाणा की डिस्कॉम्स उपभोक्ताओं को सस्ती, निर्बाध और विश्वसनीय बिजली देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बिजली टैरिफ में चार गुना वृद्धि का दावा राजनीतिक भ्रम फैलाने का प्रयास है, जिसका कोई तथ्यों से संबंध नहीं है।”
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