Himachal Pradesh: नदी-नालों से दूरी बढ़ाने को बदलेगा टीसीपी एक्ट, सरकारी दफ्तर भी पानी से 100 मीटर दूर बनाने के दिए हैं निर्देश
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला, 14 जुलाई 2025 :
हिमाचल में मानसून के सीजन में ज्यादा नुकसान वहीं हो रहा है, जहां कंस्ट्रक्शन नदी-नालों या खड्डों के नजदीक है। 2023 में आई प्राकृतिक आपदा में भी क्षति का यही नेचर था।
इस बार मंडी जिला के सराज विधानसभा क्षेत्र के थुनाग और जंजैहली जैसे एरिया में नालों और खड्डों के नजदीक कंस्ट्रक्शन से ही क्षति ज्यादा हुई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी अधिकारियों की बैठक में सरकारी भवनों के लिए खड्डों और नदियों से कम 100 मीटर की दूरी का फार्मूला बनाने को कहा है। इससे पहले मंडी जिला के धर्मपुर में हर बरसात में बस स्टैंड पानी का निशाना बनता है।
इस बार सराज में लंबाथाच डिग्री कॉलेज में क्षति इसलिए हुई, क्योंकि यह भी खड्ड के किनारे था। इसलिए राज्य सरकार चाहती है कि सरकारी के अलावा निजी कंस्ट्रक्शन के लिए भी खड्डों और नालों से दूरी बढ़ाई जाए। इसलिए टीसीपी एक्ट में बदलाव जरूरी है।
2023 की प्राकृतिक आपदा के बाद टाउन एंड कंट्री प्लानिंग रूल्स में बदलाव हुआ था। पहले नाले से तीन मीटर और खड्ड से पांच मीटर की दूरी किसी भी तरह की कंस्ट्रक्शन के लिए थी। इसे बढ़ाकर वर्ष 2023 में नाले के लिए पांच मीटर और खड्ड के लिए सात मीटर किया गया था। बड़ी नदियों के लिए नदी के हाई फ्लड लेवल के आधार पर ही दूरी तय होती है। सामान्य तौर पर इसे 25 मीटर भी मान लिया जाता है, लेकिन पांच और सात मीटर की यह दूरी कम पड़ रही है और इसे बढ़ाया जा सकता है।
भवन निर्माण की निगरानी से लेकर नक्शा पास करने के मेकेनिज्म को भी और सख्त किया जा सकता है। जहां बाढ़ के कारण नुकसान हुआ है। (SBP)
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