Himachal Tableau On Republic Day: पांच वर्षों बाद गणतंत्र दिवस परेड में लौटेगी हिमाचल प्रदेश की झांकी
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला, 31 दिसंबर 2025 :
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी को आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में हिमाचल प्रदेश की झांकी एक बार फिर कर्तव्य पथ पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगी। करीब पांच साल के अंतराल के बाद रक्षा मंत्रालय ने हिमाचल के झांकी मॉडल को स्वीकृति प्रदान की है।
इसके बाद राज्य के भाषा एवं संस्कृति विभाग ने झांकी के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया आरंभ कर दी है। वर्ष 2020 के बाद से लगातार हिमाचल की झांकी को परेड के लिए चयन नहीं मिल पाया था, ऐसे में वर्ष 2026 की परेड में इसकी वापसी को राज्य के लिए एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
इस बार झांकी का विषय पूरी तरह से देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों को समर्पित रहेगा। ‘गैलेंटरी अवार्डीज ऑफ हिमाचल प्रदेश’ थीम पर आधारित इस झांकी में परमवीर चक्र, महावीर चक्र और अशोक चक्र से सम्मानित हिमाचल के वीर सपूतों की झलक प्रस्तुत की जाएगी।
झांकी के माध्यम से यह संदेश दिया जाएगा कि सीमांत और पर्वतीय प्रदेश होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश ने देश की सुरक्षा में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है। सेना में हिमाचल के युवाओं की उल्लेखनीय भागीदारी और उनके अद्वितीय साहस को राष्ट्रीय मंच पर प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शित किया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार के संबंधित विभाग ने निर्माण प्रक्रिया को गति दे दी है। चयनित एजेंसी झांकी के डिजाइन, कलात्मक प्रस्तुति और तकनीकी मानकों के अनुरूप निर्माण कार्य करेगी, ताकि हिमाचल की झांकी अपनी विशिष्ट पहचान बना सके।
2020 में कुल्लू दशहरा थीम पर प्रदर्शित हुई थी झांकी
हिमाचल प्रदेश की झांकी कर्तव्य पथ पर आखिरी बार वर्ष 2020 में कुल्लू दशहरा की थीम के साथ प्रदर्शित हुई थी। इससे पहले 2017 में चंबा की संस्कृति, 2018 में लाहौल-स्पीति स्थित की-गोंपा और 2012 में किन्नौर की झांकी दिखाई गई थी। वर्ष 2021 में अटल टनल रोहतांग का मॉडल स्वीकृत नहीं हो सका। 2022 में धामी गोलीकांड पर आधारित झांकी अंतिम चरण में चयन से बाहर हो गई थी। 2023 में राज्य की ओर से कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया गया। 2024 में कुल्लू दशहरा के अंतर्गत रघुनाथ यात्रा की थीम पर बनाई गई झांकी को भी केंद्र से मंजूरी नहीं मिली, हालांकि इसे भारत पर्व में प्रदर्शित किया गया।
वहीं 2025 में रूसी चित्रकार निकोलस रोरिक की 150वीं जयंती पर आधारित झांकी भी अंतिम चरण में चयन से बाहर हो गई थी और इसका प्रदर्शन भारत पर्व में किया गया था।
झांकी के साथ गूंजेगी ‘मेरा हिमाचलो बड़ा बांका’ की धुन
कर्तव्य पथ पर हिमाचल प्रदेश की झांकी के साथ पारंपरिक लोकधुन ‘लागा ढोलो रा धमाका, मेरा हिमाचलो बड़ा बांका’ भी सुनाई देगी। वीरभूमि हिमाचल के शहीदों को नमन करने के उद्देश्य से इस विशेष संगीत की प्रस्तुति की जा रही है। जब यह धुन परेड के दौरान बजेगी, तो वहां मौजूद दर्शकों के मन में सम्मान, कृतज्ञता और गर्व की भावना स्वतः जागृत हो उठेगी। (SBP)
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