भारत के स्पेस हीरो Shubhanshu Shukla आज लौटेंगे धरती पर, देश कर रहा है हर सेकेंड का इंतजार
Babushahi Bureau
15 July 2025 : भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की आज अंतरिक्ष से घर वापसी होगी। एक्सिओम-4 मिशन के तहत वे और उनके तीन अंतरराष्ट्रीय सहयोगी सोमवार शाम 4:45 बजे (भारतीय समयानुसार) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से रवाना हुए। करीब 22.5 घंटे की अंतरिक्ष यात्रा के बाद उनका स्पेस कैप्सूल आज दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया के समुद्र तट पर लैंड करेगा।
नासा ने किया लाइव टेलिकास्ट, विदाई में गले मिले साथी
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने इस ऐतिहासिक रवानगी का लाइव प्रसारण किया। शुभांशु के साथ लौट रहे हैं – मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के वैज्ञानिक स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की, और हंगरी के टिबोर कापू। विदा होने से पहले सभी ने आईएसएस में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों से गले मिलकर विदाई ली। शुभांशु ने विदाई भाषण में कहा, "जल्द ही धरती पर दोबारा मुलाकात होगी।"
शून्य गुरुत्वाकर्षण में किया अनोखा प्रयोग, उड़ते दिखे पानी के बुलबुले
रवाना होने से पहले शुभांशु ने शून्य गुरुत्वाकर्षण में पानी के साथ एक मजेदार वीडियो शूट किया। इसमें हवा में तैरते हुए पानी के बुलबुले नजर आए। उन्होंने कहा कि यह अनुभव अविस्मरणीय रहा। "जब भी समय मिलता, मैं खिड़की से पृथ्वी की खूबसूरत तस्वीरें लेता था।"
अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के दूसरे नागरिक
26 जून को शुभांशु आईएसएस पहुंचे थे। 18 दिन के मिशन के दौरान उन्होंने पृथ्वी के 288 चक्कर लगाए। वे अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के दूसरे नागरिक बने। उनसे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने यह उपलब्धि हासिल की थी।
गगनयान मिशन के लिए अहम अनुभव, ISRO ने खर्च किए ₹550 करोड़
इस मिशन के लिए इसरो ने करीब ₹550 करोड़ खर्च किए। यह भारत के महत्वाकांक्षी मानव मिशन ‘गगनयान’ (लॉन्च: 2027) की तैयारियों का अहम हिस्सा है। शुभांशु का अनुभव गगनयान की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
परिवार और देश कर रहे स्वागत की तैयारी
शुभांशु की धरती पर वापसी को लेकर परिवार में खुशी और बेसब्री का माहौल है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा: "शुभांशु, देश को तुम पर गर्व है। पूरा भारत तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रहा है।"
रिहैब के बाद लौटेंगे सामान्य जीवन में
वापसी के बाद शुभांशु और उनकी टीम को 7 दिनों की रिहैब प्रक्रिया से गुजरना होगा, ताकि उनका शरीर दोबारा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार ढल सके। यह पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिकों की निगरानी में होगी।
सिर्फ एक मिशन नहीं, भारत की नई अंतरिक्ष पहचान
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा महज एक मिशन नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में उभरते नेतृत्व का प्रतीक बन चुकी है। वे न सिर्फ पहले भारतीय बने जिन्होंने ISS का हिस्सा बनकर काम किया, बल्कि उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि भारत अब स्पेस रिसर्च की ग्लोबल रेस में पीछे नहीं है।
MA
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