आरटीआई को मिले 20 वर्ष: "यह दूसरी आज़ादी है" – आर. गर्ग
आरटीआई एक्ट को मिले 20 साल पूरे, पारदर्शिता और जवाबदेही के नए युग की जरूरत – वक्तव्य: गर्ग
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 14 जून 2025:
सूचना का अधिकार अधिनियम को लागू हुए 20 वर्ष पूरे होने पर आरटीआई एक्टिविस्ट आर. गर्ग ने इसे जनता की ‘दूसरी आज़ादी’ करार देते हुए कहा कि यदि सही नीयत और सोच के साथ इस कानून का उपयोग किया जाए, तो यह भारत में सच्चे लोकतंत्र की आधारशिला बन सकता है।
आर. गर्ग ने कहा, आरटीआई को हमें सिर्फ एक नकारात्मक सोच वाले कानून के रूप में नहीं देखना चाहिए। यह एक पॉजिटिव और सशक्त करने वाला एक्ट है, जो नागरिकों को शासन में भागीदार बनाता है। जब पारदर्शिता बढ़ेगी और जवाबदेही तय होगी, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा।”
20 साल बाद भी ज़रूरत है सुधार की
आर. गर्ग का मानना है कि आरटीआई कानून ने नागरिकों को सशक्त तो किया है, लेकिन कई बार सरकारी विभागों द्वारा जानबूझकर जवाब न देना या अधूरी जानकारी देना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इस एक्ट को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए:
समयबद्ध जवाबदेही सुनिश्चित की जाए
अधिकारियों को आरटीआई के प्रति संवेदनशील बनाया जाए
अपील और सुनवाई की प्रक्रिया को सरल और तेज़ किया जाए
आरटीआई जवाब न देने वाले अधिकारियों पर सख्त दंड का प्रावधान हो
“आरटीआई को निगेटिव नहीं, पब्लिक एमपावरमेंट एक्ट मानें”
आर. गर्ग ने स्पष्ट कहा कि"हमें इस कानून को केवल सूचना मांगने तक सीमित नहीं रखना चाहिए। यह एक ट्रांसपेरेंसी टूल है जो सरकार और जनता के बीच पुल बनाता है। सही सोच और दृष्टिकोण से RTI का इस्तेमाल किया जाए तो यह सेकंड फ्रीडम की तरह साबित होगा।"
आरटीआई के 20 वर्षों पर गर्ग की अपील
इस अवसर पर आर. गर्ग ने भारत सरकार और सभी राज्य सरकारों से अपील की कि आरटीआई एक्ट को केवल कागजों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि इसे स्कूलों, कॉलेजों और पंचायत स्तर तक पहुंचाया जाए, ताकि हर नागरिक जान सके कि वह एक जवाबदेह प्रशासन का हकदार है।
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