चंडीगढ़: पार्किंग में नई गाड़ी व टेबल पर फाइलें फांक रही धूल
गाड़ी कंडम घोषित करवाने के लिए सरकारी विभाग के छूटे पसीने
2 महीने से आला ऑफिसरों के काट रहे चक्कर, यूटी सचिवालय में नहीं है फाइल निकालने की कोई भी समय सीमा
आबकारी कराधन विभाग ने पांच बोलेरो और एक मारुति सियाज गाड़ी खरीदी थी
रमेश गोयत
चंडीगढ़। शहर के आबकारी एवं कराधान विभाग द्वारा मार्च महीने में लगभग 60 लाख रुपए से पांच बोलेरो और एक मारुति सियाज गाड़ी खरीदी गई, लेकिन पुरानी गाड़ी को कंडम घोषित करवाने की प्रक्रिया अधूरी पड़ी है। परिणामस्वरूप, नई गाड़ियां पार्किंग में खड़ी धूल फांक रही हैं, और फाइलें अधिकारियों की टेबल पर ढेर बनाकर पड़ी हुई हैं।
विभाग ने नई गाड़ियां प्रशासन की अनुमति से खरीदी थीं, लेकिन नियमानुसार पुरानी गाड़ी को कंडम घोषित किए बिना नई गाड़ी को सड़क पर नहीं चलाया जा सकता। एक्साइज विभाग का कार्य गाड़ी के बिना नहीं चल सकता, इसी कारण प्रशासन से नई गाड़ी खरीदने के लिए परमिशन लेकर पुरानी गाड़ी को कंडम घोषित किए बिना ही नई गाड़ियां खरीद ली गई थीं। पुरानी गाड़ी कंडम घोषित न होने के कारण यह नई इन गाड़ियों का आरएलए से रजिस्ट्रेशन भी करवाया नहीं जा रहा है। शरारती तत्व पार्किंग से इन गाड़ियों के टेंपरेरी नंबर की प्लेट भी उखाड़ कर ले गए। इन गाड़ियों से आबकारी विभाग द्वारा शराब तस्करी रोकने व अन्य कार्य करने के लिए उपयोग में लाना था।
फाइलों का ढेर, कोई समय सीमा नहीं
सूत्रों के मुताबिक, सचिवालय के आला अधिकारियों द्वारा पुरानी गाड़ी को कंडम घोषित करने की फाइलें महीनों से टेबल पर पड़ी हैं। यूटी सचिवालय में किसी भी फाइल को निकालने की कोई निर्धारित समय सीमा नहीं है। ऐसा लगता है कि जब अधिकारियों का मन करेगा, तब ही फाइलों पर आगे की कार्रवाई होगी।
चंडीगढ़ प्रशासन में ऑनलाइन फाइल ट्रैकिंग सिस्टम लागू है, मगर इसका कोई सुपरविजन न होने की वजह से यह व्यवस्था भी केवल कागजी साबित हो रही है। किस अधिकारी के पास कौन-सी फाइल कितने समय से लंबित है, इसका कोई सटीक रिकॉर्ड नहीं है।
नो ऑब्जेक्शन, नो वापसी
आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुरानी गाड़ी कंडम घोषित होने तक नई गाड़ी का उपयोग नहीं हो सकता। 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' मिलने के बाद ही पुरानी गाड़ी को हटाया जा सकता है, लेकिन फाइलों का अंबार अधिकारियों की मेज पर जमा है।
प्रशासनिक ढिलाई या सिस्टम की खामी?
विशेषज्ञों का मानना है कि फाइलों का लंबित रहना न केवल प्रशासनिक ढिलाई का परिणाम है, बल्कि सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी दर्शाता है। अगर समयबद्ध तरीके से फाइलों का निपटारा नहीं किया जाता, तो आने वाले समय में विभागीय कामकाज पर और भी बुरा असर पड़ सकता है। चंडीगढ़ प्रशासन को इस मसले पर जल्द से जल्द कदम उठाने की जरूरत है ताकि सरकारी संपत्ति धूल न फांके और विभाग का कार्य समय पर हो सके।
प्रशासन से परमिशन मिलने के बाद होगा रजिस्ट्रेशन
प्रदीप रावल एईटीसी आबकारी एवं कराधान विभाग ने गाड़ियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विभाग ने यह गाड़ियां मार्च के महीने में खरीदी थी, मगर पुरानी गाड़ियों की कंडम घोषित ना उनके कारण इनके आरएलए से नंबर भी नहीं लग पाए हैं। प्रशासन से परमिशन मिलने के बाद जल्द ही इन गाड़ियों को ड्राइवर के चार्ज में दे दिया जाएगा।
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