खनन माफियाओं पर कसेगा शिकंजा! पंचकूला में अवैध खनन पर हरियाणा मानवाधिकार आयोग सख्त
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 12 मई 2025 - हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने पंचकूला जिले में चल रही अनियंत्रित और अवैध खनन गतिविधियों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त निर्देश जारी किए हैं। पिंजौर-नालागढ़ रोड, मल्लाह रोड, रायपुर रानी, मोरनी, बरवाला और चंडीमंदिर सहित कई क्षेत्रों में भारी मात्रा में हो रही अवैध खनन से कानून व्यवस्था, पर्यावरण और नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
पंचकूला जिले में अवैध खनन मामले में पुलिस और अन्य विभागों के अधिकारियों की कथित मिलीभगत के चलते हाल ही में हुई गिरफ्तारियों के बावजूद, जिले में बड़े पैमाने पर अवैध खनन अब भी जारी है। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब अमरावती पुलिस चौकी के प्रभारी सब-इंस्पेक्टर राजबीर सिंह को ड्यूटी के दौरान अवैध खननकर्ताओं ने दौड़ाकर धमकाया। यह घटना कानून-व्यवस्था के पूर्ण पतन और सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा पर खतरे को दर्शाती है।
हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस ललित बत्रा, दोनों सदस्यों श्री कुलदीप जैन और श्री दीप भाटिया को मिलाकर बने पूर्ण आयोग ने अपने आदेश में बताया है कि यह मामला निम्नलिखित गंभीर मुद्दों की ओर आकर्षित करता है:
1. प्रतिबंधित क्षेत्रों, विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों से पांच (5) किलोमीटर के दायरे में और नदी किनारों के पास, अवैध खनन किया जा रहा है।
2. वनों की कटाई, जल स्रोतों (ट्यूबवेल) को नुकसान और गांवों की भूमि का क्षरण जैसी व्यापक पर्यावरणीय विनाश की घटनाएं हो रही हैं।
3. ग्रामवासियों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की लगातार शिकायतों के बावजूद, नगर और जिला प्रशासन द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है।
4. हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहे कानून प्रवर्तन कर्मियों को प्रत्यक्ष धमकियां दी गई और उन पर हिंसक हमले किए गए।
5. संस्थागत लापरवाही दिखाई दे रही है, जो संभवतः भ्रष्टाचार या खनन माफियाओं से मिलीभगत का परिणाम हो सकती है।
जस्टिस बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग के अनुसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण का अधिकार भी शामिल है। अवैध खनन ने प्रत्यक्ष रूप से पारिस्थितिक विनाश, प्रदूषण और कृषि भूमि तथा जल स्रोतों को क्षति पहुँचाई है, जिससे नागरिकों के आजीविका और गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इसके अलावा, कानून प्रवर्तन अधिकारियों को दी गई धमकियाँ और हमले उनके सुरक्षा और पेशेवर ईमानदारी के अधिकारों का हनन करते हैं।
यह व्यापक और अवैध खनन गतिविधि न केवल वैधानिक पर्यावरणीय विनियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त मानवाधिकार सिद्धांतों की भी अवहेलना है, जैसे कि सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा पत्र (अनुच्छेद 25) और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर वाचा (अनुच्छेद 12), जो स्वास्थ्य और भलाई के लिए पर्याप्त जीवन स्तर के अधिकार की रक्षा करते हैं।
इस मामले के आदेश में पूर्ण आयोग ने लिखा है कि इस प्रकार की कार्रवाइयाँ अनेक वैधानिक कानूनों और राज्य नियमों का प्रत्यक्ष उल्लंघन करती है, जो निम्न हैं:
1. खनिज और खदान (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 — बिना आवश्यक लाइसेंस और अनुमोदन के लघु खनिजों की खुदाई, परिवहन और बिक्री करना।
2. हरियाणा लघु खनिज रियायत, भंडारण, खनिजों का परिवहन एवं अवैध खनन की रोकथाम नियम, 2012 — बिना अनुमति खनन करना, अपंजीकृत वाहनों का उपयोग, और परिवहन दस्तावेजों के प्रावधानों का पालन न करना।
3. वन संरक्षण अधिनियम, 1980 — वन क्षेत्रों और पहाड़ियों के पास प्रतिबंधित क्षेत्रों में बिना वैधानिक स्वीकृति के खुदाई और वृक्षों की कटाई।
4. भारतीय वन अधिनियम, 1927 — संरक्षित वन क्षेत्रों में अवैध प्रवेश करना, वृक्षों की कटाई करना और वन उत्पादों को नुकसान पहुँचाना।
5. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 — पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों का सामान्य उल्लंघन, जैसे कि अनियंत्रित दोहन, प्राकृतिक आवासों का विनाश, और पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) मानकों का पालन न करना।
6. जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 — खनन अपशिष्ट के नदी में बहाव और गाद जमाव के कारण जल स्रोतों का प्रदूषण, जिससे पारिस्थितिकी और जनस्वास्थ्य दोनों प्रभावित होते हैं।
7. वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 — अनियंत्रित खनन और परिवहन गतिविधियों के कारण अत्यधिक धूल और कणों का निर्माण, जिससे आसपास के आवासीय और ग्रामीण क्षेत्रों में वायु प्रदूषण होता है।
8. हरियाणा वन विभाग दिशा-निर्देश — वन बफर ज़ोन की सीमाओं का उल्लंघन, वनीकरण मानकों का पालन न करना, और विभाग द्वारा निर्धारित पारिस्थितिक संरक्षण प्रोटोकॉल का उल्लंघन।
इस मामले में हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस ललित बत्रा, दोनों सदस्यों श्री कुलदीप जैन और श्री दीप भाटिया को मिलाकर बने पूर्ण आयोग के निर्देश:
1. पंचकूला जिले में अवैध खनन की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट।
2. पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का वैज्ञानिक मूल्यांकन।
3. उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध की गई कार्रवाईयों का ब्योरा।
4. निगरानी व प्रवर्तन प्रणाली को मजबूत करने की कार्ययोजना, जिसमें तकनीकी उपकरणों और CCTV कैमरों का उपयोग शामिल हो।
हरियाणा मानव अधिकार आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना व जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि पूर्ण आयोग ने इस पूरे प्रकरण में स्पष्ट किया है कि पर्यावरणीय अपराधों के प्रति 'शून्य सहनशीलता' की नीति अपनाई जाएगी और जनहित के उल्लंघन पर सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, तथा हरियाणा सरकार के संबंधित विभागों को 19 अगस्त 2025 को आयोग के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपनी कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
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