बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े युवाओं के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह हैं: कुमारी शैलजा
कहा- डिग्रियां युवाओं के हाथों में पर नौकरी देने की सरकार की नीयत नहीं
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 16 मई।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि आज भारत में लगातार बढ़ रही बेरोजगारी दर गहरी चिंता का विषय है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 में देश की औसत बेरोजगारी दर 5.1 प्रतिशत रही, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 4.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 6.5 प्रतिशत बेरोजगारी दर्ज की गई है। युवा हाथों में डिग्रियां लेकर भटक रहा है पर पद रिक्त होते हुए भी सरकार नौकरी देने से पीछे हट रही है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने 2014 में प्रधानमंत्री द्वारा किए गए उस वादे की याद दिलाई जिसमें हर वर्ष दो करोड़ नौकरियां ने की बात कही गई थी। कुमारी सैलजा ने कहा, अगर 2014 से अब तक हर साल दो करोड़ नौकरियां दी गई होतीं, तो 11 वर्षो में देश के 22 करोड़ युवाओं को रोजगार मिल चुका होता और आज बेरोजगारी जैसी कोई समस्या नहीं रहती। न केवल बेरोजगारी समाप्त होती, बल्कि भारत एक विकसित राष्ट्र की ओर अग्रसर होता।
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्र सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि अब तक कितने करोड़ युवाओं को वास्तव में नौकरी दी गई है? और क्या सरकार नेताओं के झूठे वादों से गुमराह करने की जिम्मेदारी लेगी? सैलजा ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह युवाओं के लिए ठोस, पारदर्शी और समयबद्ध रोजगार योजनाएं लागू करे। साथ ही सुझाव दिया कि केंद्र को तुरंत सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को भरना चाहिए और लघु एवं ब्य्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देकर रोजगार के नए अवसर पैदा करने चाहिए। कुमारी सैलजा ने कहा कि सच्चाई तो ये है कि देश का युवा आज सबसे बड़ा पीड़ित है। रोजगार नहीं, महंगाई और भ्रष्टाचार चरम पर हैं। ऐसे में जुमलों की राजनीति नहीं, जमीनी परिणाम चाहिए। कुमारी सैलजा ने आश्वासन दिया कि कांग्रेस युवाओं के हक की लड़ाई हर मंच पर लड़ेगी और उनकी आवाज़ को दबने नहीं देगी।
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में बेरोजगारी दर ज्यादा है। अप्रैल महीने में बेरोजगारी दर 5.1 फीसदी रही है। इसमें पुरुषों में बेरोजगारी की दर 5.2 फीसदी रही, जबकि महिलाओं में यह दर 5 फीसदी रही। आंकड़ों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 17.2 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 12.3 फीसदी दर्ज की गई। वहीं, 15-29 उम्र के लोगों में बेरोजगारी दर 13.8 फीसदी रही। दरअसल, सीडब्ल्यूएस सर्वेक्षण की तारीख से पहले 7 दिनों के रेफरेंस पीरियड के दौरान होने वाली रोजगार गतिविधियों की स्थिति के बारे में बताता है। स्टडी में यह भी पता चला कि 15-29 उम्र वर्ग की महिलाओं में बेरोजगारी दर (यूआर) पूरे देश में (ग्रामीण शहरी) 14.4 फीसदी थी, जबकि शहरों में यह 23.7 फीसदी और गांवों में 10.7 फीसदी थी। देश में 15-29 साल वर्ग के पुरुषों में बेरोजगारी दर 13.6 फीसदी दर्ज की गई, जबकि शहरों में यह 15 फीसदी और गांवों में 13 फीसदी थी। कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को रिक्त पदों पर भर्ती करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए, पहले से कार्यरत कच्चे और अनुबंधित कर्मचारियों की सेवाएं नियमित कर देनी चाहिए। एचकेआरएन के तहत लगे कर्मचारियों को पहले मौका दिया जाए।
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