हरियाणा में अवैध गर्भपात पर कसी नकेल: एक सप्ताह में 17 एफआईआर दर्ज, 13 सेंटर सील
- अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने की एसटीएफ की साप्ताहिक बैठक की अध्यक्षता
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 13 मई: हरियाणा में लिंगानुपात में सुधार लाने और अवैध गर्भपात पर अंकुश लगाने के लिए राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सख्त कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में हुई साप्ताहिक बैठक में इस दिशा में तेज़ी लाने पर जोर दिया गया। बैठक का मुख्य फोकस 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत राज्य में लिंगानुपात सुधारना और अवैध गर्भपात पर पूरी तरह रोक लगाना रहा।
सुधीर राजपाल ने अधिकारियों को अवैध गर्भपात पर जीरो-टोलरेंस नीति अपनाने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि कानून लागू करने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, अवैध गर्भपात में संलिप्त डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द करने के लिए उनके मामलों को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया भेजा जाएगा।
17 एफआईआर दर्ज, 13 सेंटर सील:
पिछले सप्ताह (6 से 12 मई, 2025) में राज्यभर में एमटीपी (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी) किट की अवैध बिक्री पर कड़ी कार्रवाई की गई। इस दौरान 19 छापे मारे गए, 17 एफआईआर दर्ज हुईं और 13 सेंटर सील किए गए। 145 एमटीपी किट जब्त की गईं, जिन पर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
बैठक में यह भी बताया गया कि एसटीएफ के गठन के बाद से अब तक राज्य में कुल 43 एफआईआर, 21 सेंटर सील और 6200 एमटीपी किट जब्त किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि सभी पंजीकृत मामलों पर सख्ती से अमल किया जाए और अवैध प्रथाओं में शामिल लोगों को न्यायिक कार्रवाई के दायरे में लाया जाए।
एमटीपी सेंटरों पर सख्त निगरानी:
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि एमटीपी सेंटरों पर गहन निरीक्षण किए जाएं। एमटीपी किट की बिक्री को विनियमित करने के लिए यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पहचान संख्या के बिना कोई भी एमटीपी किट न बेची जाए।
जन्म पंजीकरण में भी सुधार के उद्देश्य से, अधिकारियों को झुग्गी-झोपड़ियों में जाकर जन्म पंजीकरण शिविर लगाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि राज्य में कोई भी नवजात अपंजीकृत न रहे।
12 सप्ताह से अधिक समय के गर्भपात में कमी:
बैठक में बताया गया कि 12 सप्ताह या उससे अधिक समय के गर्भपात की संख्या 425 से घटकर 226 हो गई है। यह कमी कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
बालिका-पहल को बढ़ावा:
महिला एवं बाल विकास विभाग ने सोशल मीडिया पर बालिका-पहल को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किए हैं। साथ ही, राज्य के विभिन्न जिलों में मोबाइल वैन के माध्यम से जागरूकता फैलाई जा रही है।
उपस्थित अधिकारी:
इस अवसर पर बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव और मिशन निदेशक रिपुदमन सिंह ढिल्लों सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
हरियाणा सरकार के इन ठोस प्रयासों से न केवल लिंगानुपात में सुधार की उम्मीद है, बल्कि अवैध गर्भपात पर पूरी तरह रोक लगाने का भी उद्देश्य है।
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