हिसार-तोशाम रोड पर जमीन कब्जा मामला: कोर्ट केस जीतने के बाद भिवानी में हाईवे के बीच बना रहा मकान, बिना अधिग्रहण और मुआवजे के बना दी थी सड़क
बाबूशाही ब्यूरो
भिवानी, 19 जून:
भिवानी जिले से एक अनोखा और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक व्यक्ति ने नेशनल हाईवे के बीच स्थित अपनी पुश्तैनी जमीन पर कब्जा कर लिया है और अब वहां मकान भी बना रहा है। यह मामला तब और अधिक चर्चा में आ गया जब पता चला कि यह व्यक्ति कोर्ट में लंबी कानूनी लड़ाई जीत चुका है, क्योंकि उसकी जमीन बिना किसी अधिग्रहण और मुआवजे के ही हाईवे के निर्माण में उपयोग कर ली गई थी।
क्या है पूरा मामला:
यह जमीन हिसार-तोशाम रोड (भिवानी जिले के हिस्से में) पर स्थित है। करीब एक दशक पहले इस मार्ग का चौड़ीकरण और निर्माण कार्य हुआ था। निर्माण के दौरान कई लोगों की निजी जमीन को सरकारी भूमि मानते हुए सड़क के लिए उपयोग कर लिया गया। इन्हीं में एक व्यक्ति की जमीन भी शामिल थी, जिसे न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही मुआवजा।
कोर्ट में लड़ी लंबी लड़ाई:
जमीन मालिक ने इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया और कई वर्षों तक केस लड़ा। अंततः कोर्ट ने फैसला जमीन मालिक के हक में सुनाते हुए कहा कि जब तक न मुआवजा दिया जाए, न ही भूमि अधिग्रहित की जाए, तब तक व्यक्ति को अपनी भूमि पर पूर्ण अधिकार है।
अब जमीन पर बना रहा है मकान:
कोर्ट के आदेश के बाद जमीन मालिक ने न सिर्फ अपनी जमीन वापस ली बल्कि अब वहां निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि यह भूमि अब बनी हुई सड़क के बीचोबीच स्थित है, जिससे ट्रैफिक के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल:
इस पूरे प्रकरण में प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। न तो पहले भूमि अधिग्रहित की गई, न मुआवजा दिया गया, और न ही कोर्ट के आदेश के बाद कोई समाधान निकाला गया। अब जब सड़क के बीच में निर्माण हो रहा है, तब भी अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया:
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह प्रशासन की गंभीर लापरवाही का परिणाम है। अगर समय पर उचित कार्रवाई होती, तो आज यह स्थिति नहीं बनती। सड़क के बीच निर्माण से यातायात बाधित हो रहा है और किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।
अब आगे क्या?
प्रशासन के पास अब दो विकल्प हैं – या तो संबंधित व्यक्ति को उचित मुआवजा और पुनर्वास देकर भूमि अधिग्रहित की जाए, या फिर सड़क का रूट बदला जाए। यह मामला अब उच्च अधिकारियों के संज्ञान में है, और जल्द ही कोई ठोस निर्णय लिए जाने की संभावना है।
भिवानी का यह मामला न केवल सरकारी तंत्र की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आम नागरिक यदि अपने अधिकारों के लिए अदालत का सहारा लें, तो न्याय अवश्य मिलता है। हालांकि, प्रशासन को भविष्य में ऐसी लापरवाही से बचने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।
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