भारत की सेना के 5 ऐतिहासिक ऑपरेशंस, जिन्होंने दुनिया को कर दिया हैरान!
महक अरोड़ा
19 जून 2025 : भारत की सेना न केवल अपने अदम्य साहस और रणनीति के लिए जानी जाती है, बल्कि देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए वह हमेशा दुनिया भर में अपना नाम रोशन करती रही है। भारतीय सेना ने कई ऐसे मिशन और ऑपरेशंस को अंजाम दिया है, जिन्हें पहले असंभव माना जाता था पर अपनी ताकत, समर्पण और अपने वीर सपूतों की मदद से भारतीय सेना ने कभी भी देश की सुरक्षा को समझौता नहीं होने दिया। इसे के चलते आज का ये लेख मे उन 5 महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक सैन्य ऑपरेशंस पर है, जिन्होंने भारतीय सेना की ताकत और साहस को साबित किया।
ऑपरेशन विजय – कारगिल युद्ध में भारतीय सेना का अपूर्व साहस
मई 1999 में पाकिस्तान ने भारत की सीमा के भीतर घुसपैठ कर कारगिल की चोटियों पर कब्जा करने की कोशिश की थी। यह युद्ध भारतीय सेना के लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन ऑपरेशन विजय के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। इस युद्ध में भारतीय सेना के विक्रम बत्रा जैसे वीर सपूत शहीद हुए, लेकिन भारतीय सेना ने 60 दिनों के संघर्ष के बाद पाकिस्तान के घुसपैठियों को खदेड़कर अपनी जमीन पर फिर से तिरंगा लहराया।
ऑपरेशन मेघदूत – सियाचिन ग्लेशियर में भारत की शानदार जीत
13 अप्रैल 1984 को सियाचिन ग्लेशियर में ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया गया था। यह दुनिया की सबसे ऊंची युद्धभूमि मानी जाती है, जहां पाकिस्तान ने अपनी घुसपैठ की कोशिश की थी। लेकिन भारतीय सेना ने समय रहते अपनी रणनीति के तहत सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा कर लिया और इसे अपने नियंत्रण में रखा। यह ऑपरेशन रणनीतिक दृष्टि से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ।
ऑपरेशन कैक्टस – मालदीव में तख्तापलट की कोशिश नाकाम
1988 में मालदीव में एक तख्तापलट की कोशिश की गई थी, जब राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम के खिलाफ विद्रोह हुआ। उन्होंने भारत से मदद मांगी, और भारतीय सेना की घातक टुकड़ी ने महज कुछ घंटों में मालदीव में कदम रखा। इस ऑपरेशन ने तख्तापलट की कोशिश को विफल कर दिया और मालदीव में शांति कायम रखने में भारतीय सेना की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
ऑपरेशन पवन – श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ शांति स्थापना की दिशा में कदम
1987 में श्रीलंका में लिट्टे (LTTE) जैसे उग्रवादी संगठन के खिलाफ भारतीय सेना ने इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (IPKF) भेजी थी। ऑपरेशन पवन के तहत भारतीय सेना ने लिट्टे को श्रीलंका के कई इलाकों से खदेड़ा और शांति स्थापना के लिए अहम कदम उठाए। इस ऑपरेशन ने भारत की अंतरराष्ट्रीय भूमिका और शांति मिशन के प्रति समर्पण को दिखाया।
ऑपरेशन राइनो और ऑपरेशन बजरंग – उत्तर-पूर्व भारत में उग्रवादियों के खिलाफ कड़ा कदम
उत्तर-पूर्व भारत में ULFA और अन्य उग्रवादी संगठनों के खिलाफ ऑपरेशन राइनो (1991) और ऑपरेशन बजरंग (1990) को शुरू किया गया था। इन अभियानों के तहत कई उग्रवादी ढेर किए गए और कुछ बड़े आतंकवादी संगठन भारतीय सेना के दबाव के कारण कमजोर पड़ गए। यह ऑपरेशन न केवल सेना की ताकत को दर्शाता है, बल्कि उन इलाकों में शांति स्थापित करने के लिए किए गए प्रयासों का भी प्रतीक है।
निष्कर्ष: भारतीय सेना की वीरता और समर्पण
इन सभी ऑपरेशनों ने भारतीय सेना की अदम्य साहस, रणनीति और देश के प्रति समर्पण को साबित किया है। भारतीय सेना ने न केवल अपनी सीमाओं पर, बल्कि विदेशों में भी अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। चाहे वो कारगिल युद्ध हो या सियाचिन ग्लेशियर का संघर्ष, भारतीय सेना ने हर बार यह सिद्ध किया है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। यह देश के हर नागरिक के लिए गर्व की बात है कि उनके सैनिक कभी भी अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटते।
MA
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