ओपन हैंड सिटी ब्यूटीफुल नहीं रही मेहमाननवाज़!" – ट्रैफिक पुलिस के रवैये पर भड़के आरटीआई एक्टिविस्ट आरके गर्ग
बाहर से आने वालों को अपराधी मान रही चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस – गर्ग का आरोप!
रमेश गोयत
चंडीगढ, 17 जून । आरटीआई एक्टिविस्ट आरके गर्ग ने चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि आज यह शहर, जो कभी "खुले हाथों से स्वागत" के लिए जाना जाता था, अब बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों के लिए डर का पर्याय बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक पुलिस सभी बाहरी वाहनों के चालकों के साथ ऐसा व्यवहार करती है जैसे वे सभी नियम तोड़ने वाले हों।
"चंडीगढ़ केवल शहर नहीं, दो राज्यों की राजधानी है"
गर्ग ने कहा कि चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों के भी हजारों लोग सरकारी कामों, शिक्षा संस्थानों, अस्पतालों और हाई कोर्ट जैसी जगहों के लिए रोज़ आते हैं। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस का बाहरी वाहनों पर कठोर रुख अनुचित और असंवेदनशील है।
ट्रैफिक चेकिंग का तरीका हो संवेदनशील और जागरूकता आधारित: सुझाव
आरके गर्ग ने सुझाव दिया कि ट्रैफिक नियमों को सख्ती से थोपने के बजाय पुलिस को पहले जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
प्रवेश बिंदुओं पर ओवरहेड साइनबोर्ड लगाए जाएं जो नियमों की जानकारी दें।
ट्रैफिक पुलिस पहले सलाह और चेतावनी दे, कार्रवाई बाद में हो।
बाहरी वाहन लौटते समय यदि उल्लंघन दिखाई दे तो ही जुर्माना हो।
600 से अधिक ट्रैफिक कर्मियों पर निगरानी और जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
"शहर की पहचान को नष्ट कर रही है पुलिस की तानाशाही"
गर्ग ने यह भी कहा कि चंडीगढ़ की पहचान उसकी उदारता और सुव्यवस्थित जीवनशैली रही है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस की मौजूदा कार्यशैली उस पहचान को ही मिटा रही है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर जल्द कार्रवाई करे।
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