Lok Sabha में पास हुआ G RAM G बिल, 125 दिन का रोजगार अब आपका कानूनी हक
Babushahi Bureau
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (ANI): संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए लोकसभा ने 'विकसित भारत - गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल, 2025' (VBG Ram G) पारित कर दिया। यह नया विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) को रिफ्रेम करते हुए लाया गया है, जिसका उद्देश्य 'विकसित भारत 2047' के विजन को पूरा करना है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बिल को सदन में पेश किया, जिसे चर्चा के बाद मंजूरी दे दी गई।
अब 125 दिन मिलेगा काम
इस नए कानून का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब हर ग्रामीण परिवार (Rural Household) को एक वित्तीय वर्ष में 125 दिनों के वेतन रोजगार (Wage Employment) की वैधानिक गारंटी मिलेगी। पहले यह सीमा कम थी।
यह बिल ग्रामीण आजीविका को मजबूत करने और ग्रामीण विकास (Rural Development) में तेजी लाने के लिए तैयार किया गया है। योजना का लाभ उठाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र का कोई भी नागरिक, जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक है, आवेदन कर सकता है और आवेदन के 15 दिनों के भीतर उसे काम दिया जाएगा।
शिवराज सिंह चौहान का विपक्ष पर वार
बिल पास होने से पहले सदन में तीखी बहस हुई। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों (Opposition Parties) ने मांग की थी कि इस बिल को जांच के लिए स्थायी समिति (Standing Committee) के पास भेजा जाना चाहिए। विपक्ष ने सरकार पर गांधीजी के आदर्शों से भटकने का आरोप लगाया।
इस पर पलटवार करते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "बापू हमारे आदर्श और प्रेरणा हैं। भाजपा ने गांधीजी के आर्थिक दर्शन को अपने 'पंचनिष्य' में शामिल किया है, जबकि विपक्ष गांधीजी के विचारों की हत्या कर रहा है।" उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम सिर्फ हंगामा करना है, जबकि सरकार समाधान पर काम कर रही है।
हाईटेक होगी निगरानी
नया बिल पुराने ढांचे को पूरी तरह बदल देगा। अब ग्रामीण विकास की योजनाओं को 'पीएम गति शक्ति' (PM Gati Shakti) और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर से जोड़ा जाएगा। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण (Biometric Authentication), जीपीएस (GPS) आधारित निगरानी, रियल-टाइम डैशबोर्ड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स का उपयोग किया जाएगा।
इसका मकसद जल सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और जलवायु-अनुकूल पहलों को बढ़ावा देना है।
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