Himachal High Court : हिमाचल के लाखों बागवानों को राहत: SC ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला, वन भूमि से नहीं हटेंगे सेब के बगीचे
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला, 17 दिसंबर 2025 :
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के लाखों सेब उत्पादकों को वन भूमि पर अतिक्रमण कर लगाए गए फलदार बागों को हटाने के हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह हाशिए पर पड़े वर्ग और भूमिहीन लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार के सामने एक प्रस्ताव रखे।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को गंभीर परिणाम वाला बताया। खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने आदेश पारित करने में गलती की जिसके बहुत गंभीर परिणाम होंगे और यह समाज के हाशिए पर पड़े वर्ग और क्षेत्र के भूमिहीन लोगों को प्रभावित करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के लाखों सेब उत्पादकों को वन भूमि पर अतिक्रमण कर लगाए गए फलदार बागों को हटाने के हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह हाशिए पर पड़े वर्ग और भूमिहीन लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार के सामने एक प्रस्ताव रखे।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को गंभीर परिणाम वाला बताया। खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने आदेश पारित करने में गलती की जिसके बहुत गंभीर परिणाम होंगे और यह समाज के हाशिए पर पड़े वर्ग और क्षेत्र के भूमिहीन लोगों को प्रभावित करेगा।
गौर हो कि 18 जुलाई तक की रिपोर्ट्स में चैथला, कोटगढ़ और रोहड़ू जैसे क्षेत्रों में 3,800 से अधिक सेब के पेड़ काटे गए थे। राज्य भर में 50,000 पेड़ों को हटाने की योजना थी। याचिका में कहा गया है, सार्वजनिक रिपोर्टों से मिले सबूतों के आधार पर, इस आदेश के लागू होने से पूरी तरह से फल लगे सेब के पेड़ों का विनाश हुआ, जिससे व्यापक जन परेशानी और आलोचना उत्पन्न हुई।
सेब उत्पादक संघ के सचिव संजय चौहान ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जब तक आपदा प्रभावित, गरीब परिवारों और किसानों को पांच बीघा तक जमीन नहीं मुहैया करवाई जाती तब तक सेब उत्पादक संघर्षशील रहेगा।वहीं किसान सभा के राज्य सचिव राकेश सिंघा ने इस सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को किसानों ,बागवानों और आम गरीब लोगों को समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि किसान इसके लिए लगातार संघर्ष कर रही है। (SBP)
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