एच.सी.एस. अधिकारी रीगन कुमार के बर्खास्तगी आदेश पर उठा एक और सवाल
जब 29 जनवरी 2025 को सरकारी सेवा से कर दी गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति, फिर उसके चलते 11 अप्रैल 2025 को सेवा से बर्खास्तगी संभव नहीं -- एडवोकेट
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 03 मई - 2011 बैच के हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा)- एच.सी.एस. (ई.बी.) अधिकारी रीगन कुमार, जिन्हें गत माह 11 अप्रैल 2025 को हरियाणा सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा जारी हालांकि 22 अप्रैल 2025 के राज्य के सरकारी गजट में प्रकाशित प्रदेश के राज्यपाल के आदेश द्वारा सरकारी सेवा से बर्खास्त (डिसमिस) कर दिया गया था जो आदेश हालांकि 30 अप्रैल 2025 को पुन: संशोधित रूप से जारी कर दोबारा गजट में प्रकाशित कराना पड़ा चूँकि जिस महिला सरकारी कर्मचारी के यौन-उत्पीड़न का दोषी पाए जाने के कारण रीगन कुमार को सरकारी सेवा से बर्खास्त किया गया, 22 अप्रैल के गजट में प्रकशित आदेश में उस पीड़ित महिला के नाम का एक या दो बार नहीं बल्कि पूरे पंद्रह बार उल्लेख किया गया जिसके बाद पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने इसे कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 की धारा 16 का स्पष्ट उल्लंघन करार करते हुए हरियाणा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, राज्य महिला आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग आदि को लिखा था जिसके बाद प्रदेश के कार्मिक विभाग को इस सम्बन्ध में ताज़ा आदेश जारी कर प्रकाशित कराना पड़ा जिसमें महिला पीड़िता के नाम के स्थान पर हालांकि शिकायतकर्ता शब्द का उल्लेख कर दिया गया.
बहरहाल, इसी बीच हेमंत ने रीगन कुमार के सरकारी सेवा से बर्खास्तगी आदेश पर एक और गंभीर प्रश्न चिन्ह उठाते हुए बताया कि एक एडवोकेट होने के कारण वो अत्यंत हैरान है कि जब इसी वर्ष 29 जनवरी 2025 को रीगन कुमार को हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्त (कंपल्सरी रिटायर ) कर दिया गया था जिस कारण उनका और प्रदेश सरकार में कर्मचारी (एम्प्लोयी) और नियोक्ता (एम्प्लायर ) का रिश्ता उसी दिन से समाप्त हो गया था, अत: उसके करीब अढ़ाई महीने बाद 11 अप्रैल 2025 को हरियाणा सरकार रीगन कुमार को सरकारी सेवा से बर्खास्त कैसे कर सकती है क्योंकि उस दिन को वह सरकारी सेवा में ही नहीं थे चूँकि वह 29 जनवरी 2025 को अनिवार्य सेवानिवृत्त किये जा चुके थे.
हालांकि अगर 11 अप्रैल 2025 को हरियाणा सरकार ताज़ा आदेश में पिछले आदेश को रद्द कर रीगन कुमार को पहले सरकारी सेवा में तकनीकी तौर पर बहाल कर और फिर साथ साथ ही उन्हें सेवा से बर्खास्तगी का आदेश जारी करती, तो ऐसा करना सही होता, इस पर हेमंत का कानूनी मत है कि यद्यपि राज्य सरकार कोई भी निर्णय करने में सक्षम है परन्तु अदालत हर सरकारी आदेश की न्यायिक समीक्षा कर सकती है.
हेमंत ने बताया कि हरियाणा सिविल सेवा (दण्ड एवं अपील) नियमावली, 2016 के नियम 4 के अंतर्गत अनिवार्य सेवानिवृत्ति
और सेवा से बर्खास्तगी दोनों ही अपने आप से अलग अलग तरह की पेनल्टी (शास्ति) है. जहाँ अनिवार्य सेवानिवृत्ति की पेनल्टी दोषी सरकारी कर्मचारी के लिए भविष्य में कोई अन्य सरकारी सेवा करने के लिए किसी प्रकार की अयोग्यता नहीं है, वहीं सेवा से बर्खास्तगी के बाद दोषी सरकारी कर्मी भविष्य में किसी प्रकार की सरकारी सेवा नहीं कर सकता है अर्थात यह उसके करियर पर अयोग्यता का धब्बा होता है.
यहाँ एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि जब 20 फरवरी 2023 को हरियाणा सरकार द्वारा रीगन कुमार को महिला सरकारी कर्मचारी के यौन-उत्पीड़न का दोषी पाए जाने के कारण सरकारी सेवा से बर्खास्त करने का सैधान्तिक तौर पर निर्णय ले लिया गया था और राज्य सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में हरियाणा लोक सेवा आयोग (एच.पी.एस.सी.) से भी परामर्श करने हेतू 14 मार्च 2023 को लिखा गया जोकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 320(3) के अंतर्गत करना अनिवार्य है एवं एच.पी.एस.सी. द्वारा 10 अक्टूबर 2023 को इस सम्बन्ध में राज्य सरकार को अपनी सहमती भी भेज दी गई थी, फिर इसके बावजूद हरियाणा सरकार द्वारा रीगन कुमार को सरकारी सेवा से तब बर्खास्त न कर 29 जनवरी 2025 को अनिवार्य सेवानिवृत्त क्यों कर दिया गया जबकि उसके अढ़ाई महीने के बाद 11 अप्रैल 2025 को उन्हें सरकारी सेवा से बर्खास्त करने का ताज़ा आदेश जारी किया जाता है जो पहले 22 अप्रैल 2025 के और तत्पश्चात 30 अप्रैल 2025 के सरकारी गजट में प्रकशित किया गया जिसमें अंत में उल्लेख किया है कि हरियाणा के राज्यपाल आदेश देते हैं कि रीगन कुमार, एच.सी.एस. (सेवानिवृत्त) को सेवा से बर्खास्तगी का दण्ड (पनिशमेंट) दिया जाता है जो उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दिन अर्थात 29 जनवरी 2025 से माना जाएगा हालांकि इसका प्रभाव भविष्यलक्षी होगा अर्थात वह पिछली तारीख से नहीं होअग . हेमंत का कानूनी मत है कि यह पंक्ति भी अपने आप में विरोधाभासी है क्योंकि एक ही समय पर रीगन कुमार की सरकारी सेवा से बर्खास्तगी 29 जनवरी 2025 की पिछली तारीख से कैसे लागू की जा सकती है और साथ साथ ऐसा भी उल्लेख किया जाता है कि इसका भविष्यलक्षी प्रभाव होगा. इसका अर्थ यह निकलता है कि 14 वर्षो की सरकारी सेवा करने के बाद जो भी लाभ रीगन कुमार को उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति अर्थात 29 जनवरी 2025
के बाद प्राप्त हुए, वह अब 11 अप्रैल 2025 के ताज़ा आदेश के फलस्वरूप राज्य सरकार द्वारा वापस नहीं लिए जा सकते है.
सनद रहे कि साढ़े तीन वर्ष पूर्व जब दिसम्बर, 2021 में तत्कालीन एच.सी.एस. अधिकारी अनिल नागर को भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त होने के कारण सरकारी सेवा से बर्खास्त किया गया था, तो उनके आदेश में ऐसा उल्लेख नहीं किया गया था जैसा अब रीगन कुमार के बर्खास्तगी आदेश में किया गया था. बर्खास्तगी के पहले अनिल नागर सेवा से निलंबित (सस्पेंड) चल रहे थे, इसलिए उनकी सीधे बर्खास्तगी पर कोई प्रशासनिक पेंच नहीं था.
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