हरियाणा को उसके हिस्से का पानी न मिलना असंवैधानिक: 10 वर्षों के आंकड़ों के साथ बैठक में नेताओं ने जताई चिंता
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 3 मई 2025:
हरियाणा में उत्पन्न जल संकट को लेकर शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी ने की। बैठक में मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता और जल विशेषज्ञ शामिल हुए। बैठक के दौरान पिछले 10 वर्षों के जल वितरण के आंकड़े प्रस्तुत किए गए और पंजाब द्वारा हरियाणा के हिस्से का पानी रोके जाने को लेकर गहन चर्चा हुई।
? पिछले 10 वर्षों में पानी वितरण के आंकड़े प्रस्तुत
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने आंकड़ों के माध्यम से बताया कि पिछले एक दशक में पंजाब ने बार-बार अपने हिस्से से अधिक पानी का उपयोग किया, जबकि हरियाणा को कई बार उसके तय हिस्से से भी कम पानी मिला।
मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने बताया कि:
मई 2022 में हरियाणा को औसतन 9780 क्युसिक पानी मिला।
मई 2023 में यह आंकड़ा 9633 क्युसिक रहा।
मई 2024 में हरियाणा को 10062 क्युसिक पानी प्राप्त हुआ।
जबकि इन वर्षों में राजस्थान को 800 क्युसिक, दिल्ली को 500 क्युसिक और पंजाब को 400 क्युसिक पानी नियमित रूप से गया। उन्होंने कहा कि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी नियमित रूप से मिलना संवैधानिक अधिकार है, जो कि पंजाब सरकार गैर-कानूनी रूप से रोक रही है।
? पंजाब सरकार पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ने का आरोप
नेताओं ने सर्वसम्मति से पंजाब सरकार के रवैये की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हरियाणा कोई नया या अतिरिक्त पानी नहीं मांग रहा है, बल्कि केवल अपने पूर्व निर्धारित हिस्से की मांग कर रहा है। नेताओं ने पंजाब द्वारा यह प्रचार किए जाने कि हरियाणा ने अपने कोटे का पूरा उपयोग कर लिया है, को झूठा और भ्रामक करार दिया।
मुख्यमंत्री सैनी ने कहा,
“डैम में किसी राज्य का कोई स्थायी कोटा नहीं होता, बल्कि वहां से पानी वितरण डैम की उपलब्धता और नियमों के अनुसार किया जाता है। हरियाणा की मांग न तो डैम को प्रभावित कर रही है और न ही किसी अन्य राज्य के हिस्से को।”
? राजनीतिक मंशा पर भी उठे सवाल
मुख्यमंत्री सैनी ने हैरानी जताई कि दिल्ली को जाने वाले पानी पर पहले पंजाब सरकार को कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन अब चुनाव परिणामों के बाद वह राजनीतिक बदले की भावना से कार्य कर रही है।
? संघीय ढांचे पर हमला और न्यायपालिका की अवमानना
बैठक में नेताओं ने पंजाब सरकार पर भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करने और न्यायपालिका के आदेशों की अवमानना करने का आरोप लगाया।
सैनी ने एसवाईएल (सतलुज-यमुना लिंक) मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद पंजाब टकराव का रास्ता अपनाए हुए है।
“पंजाब की मान सरकार न केवल न्याय व्यवस्था का अपमान कर रही है, बल्कि अंतर-राज्यीय संबंधों की मर्यादा को भी ध्वस्त कर रही है,” उन्होंने कहा।
बैठक में सभी नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे हरियाणा की जनता के हितों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे और अपने हिस्से का पूरा पानी लेने के लिए सरकार के साथ खड़े हैं।
हरियाणा-पंजाब जल विवाद एक बार फिर राजनीतिक और संवैधानिक बहस के केंद्र में है। जहां हरियाणा जल संकट से जूझ रहा है, वहीं पंजाब सरकार के रवैये से टकराव और भी बढ़ता नजर आ रहा है। आंकड़े यह दर्शाते हैं कि हरियाणा की मांग कानूनी और तथ्यात्मक आधार पर उचित है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →