चंडीगढ़ नगर निगम में ‘स्पेशल कमिश्नर’ की नियुक्ति बनी रहस्य: 18 दिन बाद भी नहीं सौंपी गई विभागीय जिम्मेदारी, केवल कुछ वित्तीय अधिकार दिए
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 29 जून 2025 | चंडीगढ़ नगर निगम में प्रशासनिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। 11 जून 2025 को यूटी प्रशासन द्वारा आईएएस प्रदीप कुमार को नगर निगम में ‘स्पेशल कमिश्नर’ (विशेष आयुक्त) के पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन 18 दिन बीत जाने के बावजूद उन्हें किसी भी विभाग की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। यह स्थिति जनता, निगम अधिकारियों और पार्षदों के बीच गहरी असमंजस की स्थिति पैदा कर रही है।
नाम नहीं, काम नहीं – सिर्फ ‘फाइनेंशियल पावर’
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नगर निगम के संयुक्त आयुक्त (Joint Commissioner) के पास जो कुछ वित्तीय अधिकार (financial powers) थे, उनमें से कुछ अधिकार अब प्रदीप कुमार को सौंपे गए हैं। परंतु हैरानी की बात यह है कि कोई ठोस विभागीय जिम्मेदारी या प्रशासनिक कंट्रोल उन्हें अब तक नहीं दिया गया है। नगर निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर भी न तो उनके नाम का उल्लेख किया गया है और न ही वह डायरेक्टरी, ऑफिस स्ट्रक्चर या अधिकारियों की सूची में शामिल किए गए हैं।
RTI कार्यकर्ता आर.के. गर्ग का सवाल – “क्या सिर्फ शोपीस हैं स्पेशल कमिश्नर?”
चंडीगढ़ के जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता आर.के. गर्ग ने इस स्थिति पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा:
“यूटी प्रशासन की वेबसाइट बताती है कि प्रदीप कुमार 11 जून से स्पेशल कमिश्नर नियुक्त हैं। लेकिन 18 दिन बाद भी न उन्हें कोई विभाग सौंपा गया है और न ही नगर निगम की वेबसाइट पर उनकी मौजूदगी दर्शाई गई है। क्या यह महज एक नाम की नियुक्ति है, या फिर प्रशासनिक शिथिलता का उदाहरण?”
गर्ग ने यह भी कहा कि जनता को यह स्पष्ट नहीं है कि स्पेशल कमिश्नर की भूमिका क्या है, और क्या वे वास्तव में कार्यभार ग्रहण कर चुके हैं या नहीं। उन्होंने मांग की कि नगर निगम को तुरंत इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
30 जून की हाउस मीटिंग में होंगे शामिल या नहीं – भी स्पष्ट नहीं
30 जून को नगर निगम की महत्वपूर्ण हाउस मीटिंग प्रस्तावित है, जिसमें बजट से लेकर कई अहम मसलों पर चर्चा होनी है। लेकिन यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि आईएएस प्रदीप कुमार इस बैठक में भाग लेंगे या नहीं। यदि वे निगम का हिस्सा हैं, तो उनकी भूमिका बैठक में क्या होगी – यह भी एक बड़ा सवाल है।
निगम प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
इस पूरे प्रकरण में नगर निगम प्रशासन की चुप्पी सबसे ज्यादा हैरान करने वाली है। न तो निगम के प्रवक्ता और न ही किसी वरिष्ठ अधिकारी ने इस नियुक्ति को लेकर कोई प्रेस बयान जारी किया है। ना ही यह बताया गया है कि प्रदीप कुमार का कार्य क्षेत्र क्या होगा और उनके अधीन कौन-कौन से विभाग होंगे।
नियुक्ति का मकसद क्या था?
विशेष आयुक्त जैसे उच्च पद पर तैनाती का उद्देश्य आमतौर पर निगम की कार्यशैली को गति देना, पारदर्शिता बढ़ाना और अतिरिक्त प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित करना होता है। लेकिन इस मामले में उल्टा हो रहा है — तैनाती के बावजूद न कोई कार्य, न दायित्व, न अधिकार। इस स्थिति ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या यह नियुक्ति राजनीतिक दबाव में की गई, या फिर प्रशासनिक स्तर पर कोई असहमति या टकराव है?
18 दिन बाद भी चंडीगढ़ नगर निगम के स्पेशल कमिश्नर आईएएस प्रदीप कुमार का कोई स्पष्ट कार्य क्षेत्र नहीं होना, न केवल प्रशासनिक लापरवाही का संकेत है, बल्कि यह एक संवैधानिक पद की गरिमा के साथ भी खिलवाड़ जैसा प्रतीत होता है। जनता, मीडिया और पार्षद अब निगम प्रशासन से यह उम्मीद कर रहे हैं कि वह जल्द से जल्द इस नियुक्ति पर स्थिति स्पष्ट करे और जिम्मेदारियां निर्धारित करे। यह मामला आने वाले दिनों में और गरमाया जा सकता है यदि जवाबदेही और पारदर्शिता नहीं दिखाई गई।
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