चंडीगढ़ सेक्टर-43 सड़क धंसने की घटना: ट्रैफिक पुलिस की सतर्कता पर भी सवाल, भारी ट्रक रिहायशी इलाके में कैसे पहुंचा?
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 29 जून 2025 — सेक्टर-43 में भारी ट्रक के सड़क में धंसने की घटना ने न सिर्फ नगर निगम और इंजीनियरिंग विभाग की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया है, बल्कि चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस की सख्ती और सतर्कता पर भी बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।
ट्रैफिक पुलिस की चौकसी पर सवाल
चंडीगढ़ शहर में ट्रैफिक पुलिस की पहचान सख्त जांच व्यवस्था और कड़ी निगरानी के लिए होती है। बाहरी राज्यों की नंबर प्लेट वाली कारों को तक बिना चेकिंग के नहीं जाने दिया जाता, लेकिन सवाल यह है कि—❝ इतना भारी ट्रक 35 टन माल के साथ ट्रेफिक पुलिस की नज़रों से बचकर सेक्टर के बीचोंबीच कैसे पहुंच गया? ❞
स्थानीय लोगों का कहना है कि आम दिनों में शहर की सीमाओं पर तैनात पुलिस बाहरी नंबर की कार, बाइक या यहां तक कि निजी गाड़ियों की भी सख्त चेकिंग करती है, फिर इस ट्रक को रिहायशी इलाके में प्रवेश की अनुमति किसने दी?
सुरक्षा मानकों की अनदेखी?
रिहायशी क्षेत्रों में 18 टायर्स जैसे भारी वाहनों की एंट्री आम तौर पर प्रतिबंधित होती है। इसके बावजूद ट्रक सेक्टर-43 के भीतर तक पहुंचा, यह दिखाता है कि कहीं न कहीं या तो चेकिंग में चूक हुई, या फिर प्रशासनिक मिलीभगत के चलते एंट्री मिली।
चंडीगढ़ प्रशासन से जवाब तलब
इस पूरे मामले पर अब चंडीगढ़ प्रशासन को स्पष्टीकरण देना होगा कि: इस ट्रक को शहर में किसने प्रवेश की अनुमति दी?
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क्या ट्रक चालक के पास वैध परमिट था?
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ट्रैफिक पुलिस की चौकियों पर ट्रक की चेकिंग क्यों नहीं हुई?
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क्या इसमें किसी विभागीय अधिकारी की लापरवाही या मिलीभगत है?
स्थानीय पार्षद की मांग
पार्षद प्रेमलता ने कहा: “ट्रैफिक पुलिस आम लोगों की गाड़ियों तक को चेक करती है, लेकिन इतने भारी ट्रक की एंट्री से पता चलता है कि सिस्टम में कहीं न कहीं ढील है या खेल है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”अब यह मामला सिर्फ सड़क धंसने का नहीं, बल्कि सिस्टम फेलियर और सुरक्षा मानकों की खुली अनदेखी का प्रतीक बन गया है। लोगों की जान खतरे में डालने वाले ऐसे मामलों में सिर्फ मुआयना और खानापूर्ति से आगे बढ़ते हुए ठोस कार्रवाई ज़रूरी है।
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