वायलेशन नोटिस के नाम पर बड़ा खेल: चंडीगढ़ एसडीएम कार्यालयों में गूंजा भ्रष्टाचार का आरोप, हजारों केस पेंडिंग, लोगों में आक्रोश
मामले की जांच की मांग
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 29 जून 2025 । चंडीगढ़ प्रशासन के तहत आने वाले एसडीएम कार्यालयों में इन दिनों वायलेशन नोटिस के नाम पर चल रही कथित "सेटिंग" और भ्रष्टाचार के मामलों ने तूल पकड़ लिया है। विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे होटल, गेस्ट हाउस, दुकानें और अन्य व्यावसायिक संस्थानों को भेजे गए नोटिस को लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया है। अब यह मामला प्रशासनिक गलियारों से निकलकर जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है। इस मामले में कई कर्मचारियों के नाम भी खुलकर आ रहे है, जिनके मार्फ़त यह गोरखधंधा चल रहा है। लोगों का कहना है कि सीवीसी नियमो का खुलकर उलंघन हो रहा है, उपरोक्त कर्मचारी एक ही सीट पर कई सालों से जमे बैठे है। लोंगर स्टे दूर करने के लिए एक दो महीना दुसरे कार्यालय में बदली करवा कर फिर दुबारा उसी सीट पर पहुंच जाते है। चंडीगढ प्रशासन में इंजीनियरिंग विभाग के कई कर्मचारी भी डेपुटेशन पर आकर चर्चा का विषय बने हुए है। जो सेटिंग से बड़ा खेल खेल रहे है, आलाअधिकारियों के संज्ञान में भी पूरा मामला है। सब खुलम-खुला चल रहा है
नोटिस का खेल: कारोबारियों पर ‘दबाव’ का तरीका?
सूत्रों के अनुसार, कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां बिना उचित सर्वे और कानूनी प्रक्रिया के सीधे वायलेशन नोटिस थमा दिए गए। इस पूरे तंत्र में कुछ अफसरों और बिचौलियों की भूमिका संदेह के घेरे में है, जो कथित रूप से लेन-देन और ‘सेटिंग’ के जरिए मामलों को रफा-दफा करने में लगे हैं।
शहर के सेक्टर 22, 26, 35, 43 सहित कई सेक्टरों व प्रमुख इलाकों के होटलों को ऐसे नोटिस जारी किए गए हैं, जिनमें स्पष्ट प्रमाण या दस्तावेजी आधार नहीं है। इस खेल में शामिल लोग पहले व्यवसायियों को डराते हैं, फिर अंदरूनी संपर्क के जरिए मामला 'सुलझाने' का प्रस्ताव रखते हैं।
"समाचार के बाद मचा हड़कंप"
जब इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मीडिया में खबरें सामने आईं, तो एसडीएम कार्यालयों में हड़कंप मच गया। कुछ मामलों में पहले से पेंडिंग केसों की फाइलों को आनन-फानन में उठाया गया और ‘जवाबी कार्रवाई’ के नाम पर दस्तावेज तैयार किए जाने लगे।
प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के पास भी यह मामला पहुंच चुका है, और उम्मीद जताई जा रही है कि इस पर जल्द बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
हजारों केस पेंडिंग, जनता परेशान
वायलेशन नोटिसों के खेल के साथ-साथ एक और गंभीर विषय यह है कि चंडीगढ़ के एसडीएम कार्यालयों में हजारों केस सालों से लंबित पड़े हैं। लोगों को सुनवाई की तारीख पर सिर्फ अगली तारीख ही मिलती है।
एक पीड़ित की कहानी:
सेक्टर-40 निवासी, पिछले 2 साल से अपनी प्रॉपर्टी केस की सुनवाई के लिए कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। उनका कहना है, “हर बार यही कहते हैं कि अगली तारीख मिलेगी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। अधिकारी मिलते नहीं, बाबू लोग चक्कर कटवाते हैं।”
जनता की मांग: विजिलेंस या सीबीआई जांच हो
अब शहर के व्यापारी संगठनों, होटल एसोसिएशनों और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने खुलकर मांग की है कि इस पूरे मामले की विजिलेंस ब्यूरो या सीबीआई से जांच कराई जाए। उनके अनुसार यह कोई सामान्य प्रशासनिक देरी नहीं, बल्कि सुनियोजित तरीके से चल रहा "रैकेट" है, जो आम जनता और छोटे व्यापारियों का शोषण कर रहा है।
प्रशासन की चुप्पी चिंता का विषय
इस पूरे मामले पर अब तक चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, यूटी प्रशासन ने कुछ आंतरिक रिपोर्ट्स तलब की हैं और जल्द जांच कमेटी का गठन किया जा सकता है।
वायलेशन के नाम पर डराने, दबाव बनाने और नोटिस भेजकर वसूली करने की शिकायतें चंडीगढ़ की पारदर्शी प्रशासनिक छवि पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं। यदि समय रहते इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की गई, तो यह जनता का प्रशासन पर से विश्वास हिला सकता है। अब देखना यह है कि क्या चंडीगढ़ प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई करेगा, या यह मामला भी हजारों पेंडिंग फाइलों की तरह गुमनामी में चला जाएगा?
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →