शहरी शासन में लोकतांत्रिक उत्कृष्टता की ओर: लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मानेसर में पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का किया उद्घाटन
बाबूशाही ब्यूरो
गुरुग्राम/नई दिल्ली, 3 जुलाई 2025
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि व्यवधानों में कमी और सार्थक संवाद से लोकतांत्रिक संस्थाएं अधिक प्रभावी बनी हैं। उन्होंने यह बात मानेसर, गुरुग्राम स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) में शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के अध्यक्षों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कही। यह दो दिवसीय सम्मेलन 3-4 जुलाई को आयोजित हो रहा है।
ओम बिरला ने अपने संबोधन में कहा, “लोकतंत्र संवाद, धैर्य और गहन चर्चा से फलता-फूलता है। संसद में प्लेकार्ड दिखाने और हंगामे की प्रवृत्ति में गिरावट आई है, जिससे कार्य-उत्पादकता और विधायी गुणवत्ता में सुधार हुआ है।” उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय निकायों को भी इसी प्रकार की सकारात्मक लोकतांत्रिक संस्कृति को अपनाना चाहिए।
उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों से आह्वान किया कि वे प्रश्न काल, शून्य काल जैसी संसदीय प्रक्रियाएं अपनाएं और सुदृढ़ समिति प्रणाली विकसित करें, ताकि जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने सुझाव दिया कि नगर निकाय नियमित और संरचित बैठकें करें, जनता से जुड़ाव बढ़ाएं और सुव्यवस्थित नीतिगत संवाद को बढ़ावा दें।
लोक सभा अध्यक्ष ने स्थानीय निकायों को राष्ट्र निर्माण का अहम स्तंभ बताते हुए कहा, “शहरी निकायों को सिर्फ सेवा प्रदाता नहीं, बल्कि सच्ची स्वशासन संस्थाएं बनकर 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करना है।” उन्होंने 600 मिलियन से अधिक शहरी आबादी के अनुमानित आंकड़े का हवाला देते हुए शासन प्रणाली को उस अनुरूप मजबूत करने की आवश्यकता जताई।
उन्होंने सम्मेलन के विषय—"संवैधानिक लोकतंत्र को सुदृढ़ करने और राष्ट्र निर्माण में शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका"—को समयानुकूल और दूरदर्शी बताया। सम्मेलन में पांच उप-विषयों—पारदर्शिता, समावेशी विकास, नवाचार, महिला नेतृत्व और ‘विकसित भारत @2047’—पर विचार-विमर्श हो रहा है।
महिला प्रतिनिधित्व पर उन्होंने कहा, “स्थानीय निकायों में महिलाओं की भागीदारी 50% तक पहुंच चुकी है, जो कि लोकतांत्रिक परिवर्तन का प्रतीक है। महिला नेतृत्व में संवेदनशीलता और उत्तरदायित्व की विशेष छाप होती है।”
उन्होंने शहरी निकायों के कार्यों—जैसे सीवेज व्यवस्था, सड़क निर्माण, अपशिष्ट प्रबंधन आदि—को जनजीवन को सीधे प्रभावित करने वाला बताते हुए कहा कि “इन कार्यों में प्रभावशीलता, शासन की विश्वसनीयता को मजबूत करती है।”
लोक सभा अध्यक्ष ने सभी प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे नागरिकों के साथ संवाद बढ़ाएं, नीति निर्माण में पारदर्शिता रखें और प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण पर ध्यान दें। उन्होंने कहा, “भारत लोकतंत्र की जननी है, और स्थानीय स्वशासन इसकी आत्मा। जब नगर निकाय सशक्त होंगे, तो लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत होंगी।”
सम्मेलन का समापन 4 जुलाई को हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के संबोधन से होगा। इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह और विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण सहित विभिन्न राज्यों के निर्वाचित प्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे।
ओम बिरला ने सम्मेलन को साझा अनुभवों, आम सहमति और लोकतांत्रिक नवाचारों का मंच बताते हुए अपने उद्बोधन का समापन इन शब्दों के साथ किया:
“स्थानीय नेतृत्व के सामूहिक प्रयासों से ही भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र के रूप में सशक्त होकर उभरेगा।”
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