चंडीगढ़ प्रशासन को मिलेंगे तीन नए आईएएस अधिकारी, 9 जून को लेंगे कार्यभार
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 8 जून 2025। चंडीगढ़ प्रशासन के प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। 9 जून, सोमवार को तीन नए आईएएस अधिकारी प्रशासन में शामिल होंगे, जिससे प्रशासनिक गतिविधियों में नई ऊर्जा और दक्षता की उम्मीद की जा रही है।
यह नियुक्ति भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 3 जनवरी 2025 को जारी उस अधिसूचना के बाद हो रही है, जिसके तहत भारतीय प्रशासनिक सेवा (संवर्ग पद संख्या का नियतन) विनियमावली, 1955 में संशोधन करते हुए चंडीगढ़ के लिए 11 आईएएस पद स्वीकृत किए गए थे।
नए आईएएस अधिकारियों की सूची इस प्रकार है:
स्वप्निल नाइक – 2009 बैच, पहले अरुणाचल प्रदेश में तैनात थे।
प्रदीप कुमार – 2013 बैच, पहले जम्मू एवं कश्मीर में सेवाएं दे रहे थे।
मोहम्मद यूनिस – वह भी यूटी कैडर के अनुभवी अधिकारी हैं।
इन तीन अधिकारियों के आने के बाद चंडीगढ़ में गृह, वित्त, नगर नियोजन जैसे प्रमुख विभागों में नई नियुक्तियां और विभागीय पुनर्गठन तय माना जा रहा है।
एमएचए की अधिसूचना के अनुसार चंडीगढ़ में अब 11 आईएएस पद स्वीकृत हैं:
पदनाम संख्या
मुख्य सचिव 1
सचिव (गृह) 1
सचिव (वित्त) 1
सचिव, नगर नियोजन (स्मार्ट सिटी) 1
उपायुक्त (जिला) 1
संयुक्त सचिव (वित्त) 2
आबकारी आयुक्त 1
सचिव 1
अपर सचिव 1
अपर उपायुक्त 1
चंडीगढ़ प्रशासन में अफसरों की जिम्मेदारियां तय: जानिए किस अधिकारी को क्या कार्यभार सौंपा गया है
: चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा विभिन्न आईएएस, आईएफएस, एचसीएस व पीसीएस, दानिक्स अधिकारियों को उनके विभागीय प्रभार सौंप दिए गए हैं। प्रशासनिक कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के लिए यह सूची महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आइए जानें किस अधिकारी के पास कौन से विभाग का कार्यभार है:
प्रमुख आईएएस अधिकारी और उनके कार्यभार:
राजीव वर्मा, आईएएस
पद: सलाहकार, प्रशासक, चंडीगढ़
प्रभार: पुलिस, जेल, चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन।
मंदीप सिंह बराड़, आईएएस
प्रभार: गृह सचिव, सचिव पर्यटन, सचिव संस्कृति।
दीप्रवा लकड़ा, आईएएस
प्रभार: सचिव वित्त, सचिव एस्टेट्स, ट्रेज़री व अकाउंट्स, योजना, सांख्यिकी, ट्रांसपोर्ट, श्रम व रोजगार, हाउसिंग, चीफ एडमिनिस्ट्रेटर।
प्रेरणा पुरी, आईएएस
प्रभार: सचिव शिक्षा, इंजीनियरिंग, खाद्य एवं आपूर्ति, उपभोक्ता मामले, जन संपर्क, खेल, सहकारिता।
हरी कल्लिकट, आईएएस
प्रभार: कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, आईटी प्रोटोकॉल, एक्साइज व टैक्सेशन, सिटको के एमडी।
अजय चगती, आईएएस
प्रभार: सचिव पर्सनल, सचिवालय स्थापना, हाउस अलॉटमेंट।
निशांत कुमार यादव, आईएएस
पद: डिप्टी कमिश्नर, जिला मजिस्ट्रेट
प्रभार: एस्टेट ऑफिसर, ज़िला सैनिक कल्याण बोर्ड अध्यक्ष, सिविल डिफेंस कंट्रोलर, वक्फ बोर्ड अध्यक्ष।
अभिजीत विजय चौधरी, आईएएस
प्रभार: तकनीकी शिक्षा, सतर्कता, विधि एवं न्याय, पर्यावरण, विशेष सचिव (गृह, पुलिस, जेल)।
अनुराधा एस. चगती, सीएसएस
प्रभार: सामाजिक कल्याण, महिला व बाल विकास, हॉस्पिटैलिटी।
आईएफएस अधिकारी
सौरभ कुमार, आईएएफएस
प्रभार: वन व पर्यावरण निदेशक, विशेष सचिव वन विभाग।
दानिक्स, पीसीएस व एचसीएस अधिकारी:
अमित कुमार, दानिक्स
प्रभार: स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी सचिव, गृह विभाग एडिशनल सचिव।
अखिल कुमार, दानिक्स
प्रभार: एडिशनल सेक्रेटरी हेल्थ, आयुष निदेशक
नवीन कुमार दानिक्स एसडीम ईस्ट स्टेट ऑफिसर 1
खुशप्रीत सिंह दानिक्स एसडीम ईस्ट एवं स्टेट ऑफिसर।
प्रधुमन सिंह, एचसीएस
प्रभार: परिवहन निदेशक, सीटीयू डिविजनल मैनेजर, सचिव आरएलए।
डॉ. ऋचा, एचसीएस
प्रभार: उच्च शिक्षा, मेट्रो व हाउसिंग की जॉइंट सेक्रेटरी।
ईशा कम्बोज, एचसीएस
प्रभार: एसडीएम (दक्षिण), स्मार्ट सिटी जॉइंट सीईओ।
सुमित सिहाग एचसीएस जॉइंट कमिश्नर नगर निगम।
शशि वसुंधरा एचसीएस जॉइंट कमिश्नर नगर निगम
रविंदरजीत सिंह बराड़, पीसीएस
प्रभार: तकनीकी व उच्च शिक्षा निदेशक, एडुसीटी प्रोजेक्ट निदेशक।
सौरभ कुमार अरोड़ा, पीसीएस
प्रभार: सांस्कृतिक कार्य निदेशक, बींत सिंह मेमोरियल प्रोजेक्ट निदेशक
नितीश सिंगला, पीसीएस
प्रभार: सूचना प्रौद्योगिकी निदेशक, श्रम, रोजगार, कोऑपरेटिव जॉइंट रजिस्ट्रार
पलिका अरोड़ा, पीसीएस
प्रभार: जेल सुपरिटेंडेंट, चाइल्ड व वुमन वेलफेयर, समाज कल्याण निदेशक।
हरसुहिंदर पाल सिंह बराड।
प्रभार: स्कूल शिक्षा निदेशक, एक्साइज एंड टैक्सेशन।
*हिमांशू गुप्ता, जॉइंट कमिश्नर नगर निगम।
पवित्र सिंह, पीसीएस
प्रभार: उद्योग निदेशक, मार्केट कमेटी एडमिनिस्ट्रेटर।
राजीव तिवारी
जन संपर्क निदेशक, सेवा अधिकार आयोग सदस्य सचिव।
चंडीगढ़ में अफसरशाही का बोझ क्यों बढ़ रहा?"
आरटीआई एक्टिविस्ट आर.के. गर्ग ने उठाए सवाल – एमएचए की चुप्पी और नॉन-आईएएस की पोस्टिंग पर जताई आपत्ति
प्रख्यात आरटीआई एक्टिविस्ट और समाजसेवी आर.के. गर्ग ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय (एमएचए) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन में आईएएस अधिकारियों की संख्या और नॉन-आईएएस अधिकारियों को उच्च पदों पर नियुक्त करने को लेकर आवाज़ बुलंद की है।
3 जनवरी 2025 की नोटिफिकेशन पर अब तक अमल नहीं
आर.के. गर्ग ने बताया कि गृह मंत्रालय ने 3 जनवरी 2025 को एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें देश की सभी केंद्रशासित प्रदेशों के लिए प्रशासनिक ढांचे का स्पष्ट उल्लेख किया गया था। इसी अधिसूचना में चंडीगढ़ के लिए भी संविधानिक ढांचा, स्वीकृत पदों की संख्या, और आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए थे।
लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी इस पर अमल होता नही दिखाई दे रहा है।
ऑफिसर्स की संख्या पहले ही ज़्यादा, फिर भी नई नियुक्तियां
आर.के. गर्ग ने खुलासा किया कि वर्तमान में चंडीगढ़ में प्रस्तावित संख्या से अधिक आईएएस अधिकारी कार्यरत हैं, और आने वाले हफ्तों में तीन और आईएएस अधिकारी यहां ज्वाइन करने वाले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इससे ओवरस्टाफिंग का संकट और प्रशासनिक असंतुलन उत्पन्न हो रहा है।
नॉन-आईएएस अधिकारियों को सेक्रेटरी बनाना अनुचित
गर्ग ने सवाल उठाया कि कई बार अनुभवहीन और नॉन-आईएएस अधिकारियों को भी विभिन्न विभागों का सचिव बना दिया जाता है, जिससे प्रशासनिक गुणवत्ता पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा:“जब किसी अनुभवहीन व्यक्ति को एक बड़े और तकनीकी विभाग की जिम्मेदारी दी जाती है, तो काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है और जनता को समय पर सेवाएं नहीं मिल पातीं।”
आरटीआई का जवाब नहीं, सिर्फ फ़ाइल ट्रांसफर
इस मामले में गर्ग ने गृह मंत्रालय को आरटीआई (सूचना का अधिकार) के तहत आवेदन कर पूछा था कि कितने अधिकारी तैनात किए गए हैं? गजट नोटिफिकेशन के अनुसार कितनी स्वीकृत पोस्ट हैं? और अधिक अधिकारियों को नियुक्त करने की वजह क्या है?
लेकिन एमएचए ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। बल्कि आवेदन को चंडीगढ़ प्रशासन के पास भेज दिया गया।
गर्ग का कहना है कि यह सूचना अधिकार अधिनियम की भावना के विरुद्ध है। क्योंकि चंडीगढ़ प्रशासन खुद एमएचए के अधीन काम करता है, और जब आदेश स्वयं एमएचए द्वारा जारी किया गया है, तो जवाबदेही भी उनकी होनी चाहिए।
बढ़ते खर्च और जवाबदेही पर सवाल
उन्होंने यह भी पूछा कि अधिक अधिकारी होने से उत्पन्न खर्च किस मद से उठाया जाएगा? क्या इसके लिए विशेष बजट है? यदि नहीं, तो अतिरिक्त बोझ आम जनता पर क्यों डाला जा रहा है?
प्रशासनिक असंतोष और पारदर्शिता की मांग!
आर.के. गर्ग का कहना है कि यह संपूर्ण स्थिति चंडीगढ़ की प्राकृतिक विकास प्रक्रिया को बाधित कर रही है। अफसरों की बढ़ती संख्या, अनुभवहीन लोगों की पोस्टिंग और पारदर्शिता की कमी – यह सब मिलकर प्रशासनिक असंतोष को जन्म दे रहे हैं।
उन्होंने अंत में सवाल किया कि:"क्या केंद्र सरकार अपनी ही अधिसूचना को लागू नहीं करना चाहती? यदि हां, तो 3 जनवरी 2025 की अधिसूचना का क्या औचित्य है?"
गर्ग ने मांग की है कि गृह मंत्रालय को स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से यह बताना चाहिए कि चंडीगढ़ में प्रशासनिक ढांचे को कैसे लागू किया जा रहा है, और क्यों अधिसूचना के बावजूद कार्यवाही अधूरी है।
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