पंजाब सरकार की नाकामी और केंद्र सरकार की हिदायतों के चलते पंजाब के हकों पर डाका, पाँच-सदस्यीय भर्ती कमेटी ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को ठहराया ज़िम्मेदार
दिल्ली से चलने वाली पार्टियाँ कभी पंजाब के मुद्दों की रखवाली नहीं कर सकतीं, पंजाब भाजपा की चुप्पी बड़ी साज़िश का हिस्सा
चंडीगढ़,1 मई, 2025 — भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड द्वारा हरियाणा को तुरंत प्रभाव से 8500 क्यूसिक पानी देने के मामले में पाँच-सदस्यीय भर्ती कमेटी के सदस्य सरदार मनप्रीत सिंह इयाली, जत्थेदार गुरप्रताप सिंह वडाला, जत्थेदार इकबाल सिंह झूंढ़ां, जत्थेदार संता सिंह उमैदपुर और बीबी सतवंत कौर ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। इन सदस्यों ने पंजाब सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पंजाब सरकार की नाकामी और राज्य के पक्ष को मजबूती से पेश न करने का खामियाजा पंजाब को भुगतना पड़ेगा।
कमेटी के सदस्यों ने कहा कि केंद्र सरकार और पंजाब सरकार द्वारा कराए गए तमाम सर्वे में यह स्पष्ट हो चुका है कि पंजाब ‘डार्क ज़ोन’ में पहुँच चुका है। कई जिलों में जल स्तर हज़ार फीट से भी नीचे चला गया है। कई जिले सूखे की मार झेल रहे हैं। अगर डैमों में घटते जलस्तर की बात करें, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पिछले साल इन्हीं दिनों की तुलना में पोंग डैम में जल स्तर 31.87% घट चुका है, रंजीत सागर डैम में 16.90% घटा है और भाखड़ा डैम में 10% कमी आई है। इन डैमों में घटते जलस्तर की मार भी पंजाब के किसानों को आगामी फसल सीज़न में झेलनी पड़ेगी, और उस पर दोहरी मार यह होगी कि 8500 क्यूसिक पानी हरियाणा को दिया जा रहा है।
कमेटी के सदस्यों ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान साढ़े पाँच घंटे चली बीबीएमबी की मीटिंग में पंजाब का पक्ष मजबूती से नहीं रख पाए। हरियाणा द्वारा रखी गई मानवाधिकार आधारित रिपोर्ट के मुकाबले मुख्यमंत्री भगवंत मान पंजाब के कई जिलों में बने सूखे जैसे हालातों को तार्किक रूप से पेश करने में नाकाम रहे।
इसके साथ ही कमेटी सदस्यों ने ज़ोर देकर कहा कि दिल्ली से चलने वाली पार्टियाँ कभी पंजाब और पंजाब से जुड़े मुद्दों की रक्षा नहीं कर सकतीं। यही वजह है कि भाजपा, कांग्रेस और आप (AAP) नेतृत्व के दोहरे मापदंडों का खामियाजा पंजाब भुगत रहा है। जारी बयान में कहा गया कि जहाँ केंद्र की भाजपा सरकार ने पंजाब के साथ बड़ा धोखा किया है, वहीं पंजाब भाजपा नेतृत्व की गहरी चुप्पी इस बात पर मुहर लगाती है कि अपने केंद्रीय एजेंडों को पूरा करने के लिए उनकी पूरी मिलीभगत रही। इसके साथ ही आप सुप्रीमो की नीति का दोहरा रवैया भी पंजाब के लिए घातक साबित हुआ। हरियाणा विधानसभा चुनावों के समय राजनीतिक स्वार्थों के तहत केजरीवाल ने हरियाणा वासियों को पंजाब में ‘आप’ सरकार होने और पंजाब सरकार से अपनी मर्ज़ी के मुताबिक कुछ भी करवा लेने के दावों का जो लाभ उठाया, उसका खामियाजा भी पंजाब को भुगतना पड़ा। मुख्यमंत्री भगवंत मान भी अरविंद केजरीवाल के इन दावों पर कभी समय रहते विरोध दर्ज नहीं करवा सके, और इसी कारण बीते दिन बीबीएमबी मीटिंग में उनकी राजनीतिक कमजोरी का नुकसान पंजाब को भुगतना पड़ा।
अंत में पाँच-सदस्यीय भर्ती कमेटी के सदस्यों ने पानी जैसे नाज़ुक मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और किसान नेताओं से ज़ोरदार अपील की कि पंजाब के इस बड़े और अहम मुद्दे पर एक मंच बनाकर आगामी संघर्ष की रूपरेखा तैयार की जाए। कमेटी सदस्यों ने पंजाब के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को ईमानदारी से निभाने का भरोसा देते हुए कहा कि वे पंजाब के मुद्दों पर हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर अपने फ़र्ज़ निभाते रहेंगे।
kk
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