भाखड़ा नहर विवाद गहराया: पंजाब ने बीबीएमबी मीटिंग का किया बहिष्कार, हरियाणा-हिमाचल-राजस्थान के अधिकारियों ने की चर्चा
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 4 मई — भाखड़ा नहर से पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब और हरियाणा सरकारों के बीच गत एक सप्ताह से चल रहा तनाव और गहरा गया है। केंद्र सरकार की मध्यस्थता के प्रयासों के बावजूद अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है। शनिवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) द्वारा चंडीगढ़ में बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में पंजाब सरकार ने भाग नहीं लिया, जिससे विवाद और तीव्र हो गया।
पंजाब का बैठक से किनारा
बीबीएमबी की बैठक का मुख्य उद्देश्य डैम से पानी छोड़ने और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना था। हालांकि, पंजाब के सिंचाई मंत्री बरिंदर कुमार गोयल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बैठक का पूर्ण बहिष्कार कर दिया। पंजाब का तर्क है कि हरियाणा को अधिक पानी देने की मांग न केवल अनुचित है, बल्कि यह राज्य के किसानों के साथ अन्याय भी है। मंत्री गोयल का कहना है कि पंजाब पहले ही जल संकट से जूझ रहा है और अब अतिरिक्त दबाव बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान के अधिकारियों की बैठक
पंजाब की अनुपस्थिति के बावजूद, बीबीएमबी चेयरमैन मनोज त्रिपाठी की अध्यक्षता में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच लगभग एक घंटे तक चर्चा चली। सूत्रों के अनुसार, बैठक में तय किया गया कि बीबीएमबी चेयरमैन अब खुद पंजाब सरकार से संपर्क कर समन्वय स्थापित करेंगे। उनकी ओर से यह प्रयास किया जाएगा कि डैम से पानी की रिहाई और संबंधित सुरक्षा व्यवस्था पर जल्द सहमति बने।
केंद्र सरकार की भूमिका
इस पूरे विवाद में केंद्र सरकार सक्रिय भूमिका निभा रही है। गृह मंत्रालय पहले ही निर्देश दे चुका है कि जल बंटवारे के इस मसले को सुलझाने के लिए सभी पक्षों को संवाद के माध्यम से समाधान निकालना चाहिए। वहीं बीबीएमबी को कहा गया है कि किसी भी प्रकार की सुरक्षा चुनौती या जल आपूर्ति में बाधा न आए, इसके लिए हर संभव कदम उठाए जाएं।
पृष्ठभूमि और विवाद का मूल
भाखड़ा डैम से जुड़ी नहरों से पानी के बंटवारे को लेकर लंबे समय से पंजाब और हरियाणा में मतभेद हैं। हरियाणा का आरोप है कि उसे उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा, जबकि पंजाब का कहना है कि वह अपने संसाधनों पर पहले ही बोझ महसूस कर रहा है। इस जल विवाद ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है, जिससे समाधान की प्रक्रिया और जटिल हो गई है।
आगे की राह
जानकारों का मानना है कि यदि पंजाब अपनी स्थिति पर कायम रहा, तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। साथ ही किसानों के प्रदर्शन और जल आपूर्ति पर प्रभाव पड़ने की आशंका भी जताई जा रही है। अब सभी की निगाहें बीबीएमबी चेयरमैन की आगामी पहल और पंजाब सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
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