Himachal News : सहायक औषधि नियंत्रक निशांत सरीन पर ईडी का शिकंजा, 7 ठिकानों पर छापेमारी; करोड़ों की संपत्तियां जब्त
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला/बद्दी, 26 जून 2025 :
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के गंभीर आरोपों के तहत हिमाचल प्रदेश के सहायक औषधि नियंत्रक निशांत सरीन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। 22 और 23 जून को चंडीगढ़ जोन की ईडी टीमों ने सरीन, उनके परिजनों और सहयोगियों से जुड़े हरियाणा और पंजाब स्थित कुल सात ठिकानों, जिनमें आवासीय, वाणिज्यिक परिसर और सरकारी दफ्तर शामिल हैं पर तलाशी अभियान चलाया।
यह कार्रवाई उस मामले के तहत की गई जिसमें सरीन पर आरोप है कि उन्होंने बद्दी में सहायक औषधि नियंत्रक के पद पर रहते हुए अपने आधिकारिक प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए निजी लाभ, भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को अंजाम दिया।
ईडी को क्या मिला:
तलाशी के दौरान ईडी को कई अहम दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूत हाथ लगे। इनमें ड्रग लाइसेंस, कारण बताओ नोटिस, फार्मा कंपनियों को दी गई स्वीकृतियां, संपत्ति से जुड़े कागजात, मोबाइल फोन, लैपटॉप और पेन ड्राइव आदि शामिल हैं। इसके अलावा ईडी ने सरीन और उनके परिवार से जुड़े 40 से अधिक बैंक खाते और सावधि जमा (एफडीआर) फ्रीज कर दिए हैं तथा तीन लॉकर भी सीज किए गए हैं।
ईडी ने कार्रवाई के दौरान करीब 32 लाख रुपये मूल्य के दो लग्जरी वाहन भी जब्त किए। साथ ही, ओमेक्स कैसिया (न्यू चंडीगढ़) स्थित उनके आवास से 60 से अधिक अनरजिस्टर्ड शराब की बोतलें बरामद की गईं।
जबरन वसूली और वित्तीय लेनदेन की जांच जारी
ईडी ने यह भी बताया कि वर्तमान में निशांत सरीन की एडीसी (अपर उपायुक्त) धर्मशाला के पद पर तैनाती के दौरान की गई कथित जबरन वसूली और उनके परिवार व दवा कंपनियों के बीच संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की भी जांच की जा रही है।
मामला क्या है?
इस जांच की जड़ें हिमाचल प्रदेश सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (SV&ACB) द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 11 के अंतर्गत दर्ज एफआईआर से जुड़ी हैं। इसी आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (PMLA) के तहत जांच शुरू की थी। एफआईआर के बाद सरीन और उनकी सहयोगी कोमल खन्ना को गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया।
बाद में, जमानत पर रिहा होने के बाद सितंबर 2024 में सरीन को धर्मशाला में एडीसी पद पर पुनः तैनात कर दिया गया।
पुराने मामले भी जांच के दायरे में
सरीन और उनके सहयोगियों के खिलाफ वर्ष 2022 में हरियाणा पुलिस ने भी एक अलग एफआईआर दर्ज की थी। यह मामला पंचकूला स्थित झेनियां फार्मास्यूटिकल्स में साझेदारी विलेख की कथित जालसाजी से जुड़ा है, जिसमें कोमल खन्ना की हिस्सेदारी को 50% से बढ़ाकर 95% कर दिया गया था। आरोप है कि इस प्रक्रिया में सरीन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और कंपनी के अन्य साझेदारों को धमकाया गया।
आगे क्या?
ईडी ने साफ किया है कि मामले की जांच अभी जारी है, और भविष्य में और खुलासे हो सकते हैं। (SBP)
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